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!!””बहुत सुंदर प्रसंग – “ दया का फल “” !!🥭

(पर्वत सिंह बादल)✍🏻

🧶(धर्म) एक बार भगवान विष्णु जी शेषनाग पर बैठे-बैठे बोर हो गये, और उन्होंने धरती पर घूमने का विचार मन में किया, वैसे भी कई साल बीत गये थे धरती पर आये और वह अपनी यात्रा की तैयारी में लग गये।

स्वामी को तैयार होता देख कर..
लक्ष्मी मां ने पूछा- आज सुबह-सुबह कहां जाने कि तैयारी हो रही है ?

विष्णु जी ने कहा.. हे लक्ष्मी मैं धरती लोक पर घूमने जा रहा हूँ,

तो कुछ सोच कर लक्ष्मी मां ने कहा ! हे देव क्या मैं भी आपके साथ चल सकती हूँ ?भगवान विष्णु ने दो पल सोचा फ़िर कहा एक शर्त पर, तुम मेरे साथ चल सकती हो तुम धरती पर पहुँच कर उत्तर दिशा की ओर बिल्कुल मत देखना,

इसके साथ ही माता लक्ष्मी ने हां कह के अपनी मनवा ली और सुबह-सुबह मां लक्ष्मी और भगवान विष्णु धरती पर पहुंच गये,

अभी सूर्य देवता निकल रहे थे, रात बरसात हो कर हटी थी, चारो ओर हरियाली ही हरियाली थी, उस समय चारो ओर बहुत शान्ति थी और धरती बहुत ही सुन्दर दिख रही थी…मां लक्ष्मी मन्त्र मुग्ध होकर धरती को देख रही थी और भूल गईं कि पति को क्या वचन दे कर आई हैं ? और चारो ओर देखती हुईं कब उत्तर दिशा की ओर देखने लगी पता ही नही चला।

उत्तर दिशा मैं मां लक्ष्मी को एक बहुत ही सुन्दर बगीचा नजर आया और उस तरफ़ से भीनी-भीनी खुशबु आ रही थी और बहुत ही सुन्दर-सुन्दर फ़ूल खिले थे,

यह एक फ़ूलो का खेत था और मां लक्ष्मी बिना सोचे समझे उस खेत में गई और एक सुंदर सा फूल तोड़ लाई,लेकिन यह क्या जब मां लक्ष्मी भगवान विष्णु के पास वापिस आई तो भगवान विष्णु की आंखो में आंसू थे और भगवान विष्णु ने मां लक्ष्मी को कहा कि कभी भी किसी से बिना पूछे उस का कुछ भी नही लेना चाहिये, और साथ ही अपना वचन भी याद दिलाया।

मां लक्ष्मी को अपनी भूल का पता चला तो उन्होंने भगवान विष्णु से इस भूल की माफ़ी मांगी, तो भगवान विष्णु ने कहा कि जो तुम ने जो भूल की है उस की सजा तो तुम्हे जरुर मिलेगी ?

जिस माली के खेत से तुमने बिना पूछे फ़ूल तोड़ा है, यह एक प्रकार की चोरी है, इसलिये अब तुम तीन साल तक माली के घर नौकर बन कर रहो..  उसके बाद मैं तुम्हे बैकुण्ठ में वपिस बुलाऊंगा,मां लक्ष्मी ने चुपचाप सर झुका कर हां कर दी.. 
और मां लक्ष्मी एक गरीब औरत का रुप धारण करके , उस खेत के मालिक के घर गई, घर क्या एक झोपड़ा था, और मालिक का नाम माधव था,

माधव की बीबी, दो बेटे ओर तीन बेटियां थी, सभी उस छोटे से खेत मैं काम करके किसी तरह से गुजारा करते थे,

मां लक्ष्मी जब एक साधारण और गरीब औरत बनकर जब माधव के झोपड़े पर गई तो माधव ने पूछा .. बहिन तुम कौन हो ? और इस समय तुम्हें क्या चाहिये ?

तब मां लक्ष्मी ने कहा, मैं एक गरीब औरत हूँ.. मेरी देख भाल करने वाला कोई नही, मैंने कई दिनों से खाना भी नही खाया …मुझे कोई भी काम दे दो, साथ में मैं तुम्हारे घर का काम भी कर दिया करुँगी, बस मुझे अपने घर में एक कोने में आसरा दे दो ?

माधव बहुत ही अच्छे दिल का मालिक था, उसे दया आ गई, लेकिन उस ने कहा, बहिन मैं तो बहुत ही गरीब हूँ, मेरी कमाई से मेरे घर का खर्च मुस्किल से चलता है, लेकिन अगर मेरी तीन की जगह चार बेटियां होती तो भी मैंने गुजारा करना था,

अगर तुम मेरी बेटी बन कर, जैसा रुखा सुखा हम खाते हैं उस में खुश रह सकती हो तो बेटी अन्दर आ जाओ।माधव ने मां लक्ष्मी को अपने झोपड़े में शरण दे दी, और मां लक्ष्मी तीन साल तक उस माधव के घर पर नौकरानी बन कर रहीं,

जिस दिन मां लक्ष्मी माधव के घर आई थी उसके दूसरे दिन ही माधव को इतनी आमदनी हुई फूलो से की शाम को एक गाय खरीद ली,

फ़िर धीरे-धीरे माधव ने काफ़ी जमीन खरीद ली, और सब ने अच्छे-अच्छे कपड़े भी बनवा लिये,

और फ़िर एक बड़ा पक्का घर भी बनवा लिया, बेटियों और बीबी ने गहने भी बनवा लिये, और अब मकान भी बहुत बड़ा बनवा लिया था।

माधव हमेशा सोचता था कि मुझे यह सब इस महिला के आने के बाद मिला है, इस बेटी के रुप मे मेरी किस्मत आ गई है मेरी,और अब 3 साल बीत गये थे, लेकिन मां लक्ष्मी अब भी घर में और खेत में काम करती थी,

एक दिन माधव जब अपने खेतों से काम खत्म करके घर आया तो उसने अपने घर के सामने द्वार पर एक देवी स्वरुप गहनों से लदी एक औरत को देखा,

ध्यान से देख कर पहचान गया अरे यह तो मेरी मुहं बोली चोथी बेटी यानि वही औरत है, और पहचान गया कि यह तो मां लक्ष्मी हैं,

अब तक माधव का पूरा परिवार बाहर आ गया था, और सब हैरान होकर मां लक्ष्मी को देख रहे थे,

माधव बोला हे मां .. हमें माफ़ कर दे..हमने आप से अंजाने में ही घर और खेत में काम करवाया… हे! मां यह कैसा अपराध हो गया, हे! मां हम सब को माफ़ कर दे..अब मां लक्ष्मी मुस्कुराई और बोली..

माधव… तुम बहुत ही अच्छे और दयालू व्यक्त्ति हो, तुम ने मुझे अपनी बेटी की तरह से रखा, अपने परिवार के सदस्य की तरह से,

इसके बदले मैं तुम्हे वरदान देती हूँ कि तुम्हारे पास कभी भी खुशियो की और धन की कमी नहीं रहेगी, तुम्हे सारे सुख मिलेगे जिस के तुम हकदार हो, और फ़िर मां अपने स्वामी के द्वारा भेजे रथ में बैठकर बैकुण्ठ चली गई।

मित्रों… इस कहानी में मां लक्ष्मी का संदेशा है कि जो लोग दयालू और  साफ़ दिल के होते हैं मैं वहीं निवास करती हूँ , हमें सभी मानवों की मदद करनी चाहिये और गरीब से गरीब को भी तुच्छ नही समझना चाहिये।

जय श्री हरि – जय माँ लक्ष्मी 🙏

By Parvat Singh Badal (Bureau Chief Jalaun)✍️

A2Z NEWS UP Parvat singh badal (Bureau Chief) Jalaun ✍🏻 खबर वहीं जों सत्य हो

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