जांच के दौरान बनाई जाती है फेफड़े की पूरी वीडियो, छह माह तक मशीन में रहती है सुरक्षित

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अमर उजाला ब्यूरो

झांसी। रानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज में फेफड़ों की वीडियो ब्रोंकोस्कोपी शुरू हो गई है। इससे न सिर्फ फेफड़े की जांच होती है, बल्कि जांच के लिए कैंसर अथवा ट्यूमर का अंश भी लिया जाता है।

मेडिकल कॉलेज के क्षय रोग विभाग में फेफड़ों की जांच के लिए वीडियो ब्रोंकोस्कोपी शुरू हो गई है। विभागाध्यक्ष डॉ. मधुर्मय शास्त्री ने बताया कि अभी तक साधारण मशीन से ब्रोंकोस्कोपी की जाती थी, मगर जून से अत्याधुनिक वीडियो ब्रोंकोस्पोपी शुरू हो गई है। बुंदेलखंड में यह पहली मशीन है, जो फेफड़ों से जुड़े सभी रोगों का पता लगाने में काफी कारगर है। इसके माध्यम से न सिर्फ फेफड़े का संक्रमण पता चलता है, बल्कि पकड़ में न आने वाले निमोनिया की भी जानकारी हो जाती है।

यही नहीं, कैंसर व ट्यूमर की जांच के लिए सैंपल भी लिया जाता है। फेफड़ा से बलगम भी निकालने में मदद मिलती है। उन्होंने बताया कि मरीज के फेफड़ों के पूरे उपचार की वीडियोग्राफी होती है। यदि कहीं गड़बड़ी मिलती है, तो उसकी जांच के लिए फोटो भी बनाई जाती है। खास बात यह कि रोगी के फेफड़ों की पूरी वीडियो छह माह तक सुरक्षित रहती है। उच्च चिकित्सा की जरूरत पड़ने पर पूरी वीडियो दी जा सकती है, ताकि कोई भी डॉक्टर उसे देखकर उपचार कर सके।

15 साल से चल रहे थे प्रयास

डॉ. मधुर्मय शास्त्री ने बताया कि मेडिकल कॉलेज में वीडियो ब्रोंकोस्कोपी लगाने के लिए 15 साल से लगातार प्रयास किए जा रहे थे। जून में इसको चालू किया गया है, इससे काफी सहूलियत हो रही है। फालोअप उपचार के लिए आने वाले रोगियों को ज्यादा बताने की जरूरत नहीं पड़ती, क्योंकि वीडियो से सबकुछ पता चल जाता है।

अब सहज हो रही कैंसर की जांच

डॉ. शास्त्री ने बताया कि फेफड़ा शरीर का सबसे नाजुक अंग होता है। जरा की चूक जानलेवा हो जाती है। कैंसर की पुष्टि करने के लिए बायोप्सी करना चुनौतीपूर्ण होता था। अब वीडियो ब्रोंकोस्कोपी से ट्यूमर का अंश लेना काफी सुगम हो गया है।



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