
झांसी में स्वतंत्रता संग्राम सेनानी सीताराम आजाद के बुजुर्ग पुत्र राजगुरू के पास न दो वक्त की रोटी का इंतजाम है और न ही रहने के लिए छत है। शनिवार को वह अपने पिता की प्रतिमा के नीचे बैठकर रो रहे थे। सूचना पर पहुंचे पूर्व केंद्रीय मंत्री ने उन्हें रैन बसेरा पहुंचाया।
स्वतंत्रता सेनानी सीताराम आजाद का जन्म झांसी में वर्ष 1919 में हुआ था। उन्होंने देश के लिए लड़ाई लड़ी और 1942 से 1944 तक सात बार जेल भी गए। उनके बेटे राजगुरू इन दिनों आर्थिक तंगी से जूझ रहे हैं। पहले वह किराये के मकान में रहते थे लेकिन किराया न दे पाने से घर खाली करना पड़ा। बीच में वह लकवाग्रस्त भी हो गए। इस समय पत्रकार भवन के पास स्थापित उनके पिता की प्रतिमा का चबूतरा ही उनका बसेरा है। शनिवार को वह इस कदर टूट गए कि उनकी आंखों से आंसू बहने लगे। मौके पर पहुंचे पूर्व केंद्रीय मंत्री प्रदीप जैन आदित्य ने कहा कि प्रशासन की जिम्मेदारी है कि उन्हें सरकारी निवास उपलब्ध कराए। जब तक उनके रहने की स्थायी व्यवस्था नहीं होगी, तब तक वह हर संभव मदद करेंगे। अभी उनके रैन बसेरा में ठहरने की व्यवस्था की गई है। इस दौरान रोहित अग्रवाल, शफीक अहमद, आदित्य नारायण दुबे मौजूद रहे। (अमर उजाला ब्यूरो)