रायबरेली। डीह ब्लॉक के टेकारी हसन गांव में मनरेगा से नाला खोदाई के नाम पर जमकर मनमानी की गई। जिला विकास अधिकारी ने जांच की तो मनमानी पकड़ में आ गई। सीडीओ के निर्देश पर बुधवार को संबंधित ग्राम विकास अधिकारी को दोषी करार देते हुए निलंबित कर दिया गया। उसे छतोह ब्लॉक से संबद्ध किया गया है। अमावां के बीडीओ को अंतिम जांच सौंपी गई है।
आईजीआरएस पर हुई शिकायत की जांच डीडीओ अरुण कुमार ने किया। जांच में पाया गया कि नाला खोदाई में श्रमिक जगदीश ने 15 दिन काम किया और उसे मजदूरी भी मिल गई। मस्टररोल में जगदीश की 47 दिन मजदूरी दिखाई गई है। श्रमिक राम कुमार को 15 दिन की मजदूरी दी गई है, लेकिन 12 मार्च से 25 मार्च के मस्टररोल में रामकुमार का नाम दर्ज नहीं मिला। श्रमिक प्रदीप कुमार को काम करना दिखाया गया, लेकिन अन्य श्रमिकों ने ऐसी जानकारी से इंकार किया।
जांच के दौरान श्रमिक रानी, सूरज, रोहित, अनीता, इस्लाम, राम औतार, रोहित, रेखा,नीरज, जगदीश, रामखेलावन, रंजीत जांच में नहीं आए, लेकिन नाला निर्माण में काम दिखाकर मजदूरी का भुगतान किया गया है। जांच रिपोर्ट आने के बाद दोषी ग्र्राम विकास अधिकारी शितांशू प्रकाश को निलंबित कर दिया गया। खंड विकास अधिकारी कार्यालय छतोह से संबद्ध किया गया। खंड विकास अधिकारी अमावां को अंतिम जांच सौंपी गई है।
डीडीओ अरुण कुमार ने बताया कि वीडीओ को निलंबित कर दिया गया है। अमावां बीडीओ को सात दिन में अंतिम जांच पूरी करके रिपोर्ट देने के आदेश दिए गए हैं।