Wheat procurement: Private companies have their eyes on UP, government reduced the quota of private storage, o

निजी कंपनियां सीधे किसानों से खरीद करती हैं।

विस्तार


गेहूं खरीदने के लिए निजी कंपनियों की नजर यूपी पर है, क्योंकि यहां गेहूं देश में सबसे सस्ता है। इसके मद्देनजर सरकार ने निजी कंपनियों की भंडारण सीमा घटाकर केवल 500 मीट्रिक टन कर दी है, जो जनवरी तक 3000 मीट्रिक टन थी। दरअसल, केंद्र सरकार का बफर स्टाक पहली बार मानक से भी नीचे जाने की आशंका है। पहले सरकारी गोदाम भरे जाएंगे, फिर निजी कंपनियों को छूट दी जाएगी। गेहूं के निर्यात पर रोक पहले ही लगा दी गई है।

सरकार के सामने ज्यादा गेहूं खरीदने की चुनौती है, क्योंकि स्टाक घट गया है। पिछले तीन सीजन में सरकारी खरीद लक्ष्य से काफी कम हो रही है। पिछली बार लक्ष्य 60 लाख मीट्रिक टन था। इसे आगामी सीजन में बढ़ाकर अब 80 लाख मीट्रिक टन कर दिया गया। ज्यादा से ज्यादा गेहूं खरीद के लिए क्रय केंद्रों की संख्या भी 5000 से बढ़ाकर 6000 कर दी गई है। हर बार गेहूं खरीद एक अप्रैल से होती थी। इस बार एक मार्च से ही खरीद केंद्र संचालित कर दिए गए। पर, चिंताजनक बात ये है कि वर्ष 2021-22 में सरकारी गेहूं खरीद करीब 56 लाख मीट्रिक टन हुई थी। जबकि इसके बाद के दो सीजन में महज छह लाख मीट्रिक टन ही गेहूं खरीदा जा सका। ऐसे में सरकार की शीर्ष प्राथमिकता किसानों से एमएसपी पर गेहूं खरीदना और तत्काल भुगतान करना है। इसके बाद खाद्य वितरण प्रणाली की जरूरत पूरी करना भी सरकार की प्राथमिकताओं में है।

मध्य प्रदेश और राजस्थान ने बढ़ाई यूपी की चुनौती

नई फसल अप्रैल के पहले सप्ताह से बाजार में आना शुरू हो जाएगी। अप्रैल के मध्य में रफ्तार बढ़ेगी। राजस्थान और मध्य प्रदेश की राज्य सरकारों ने 2,275 रुपये न्यूनतम समर्थन मूल्य पर 125 रुपये प्रति क्विंटल बोनस देने का एलान कर दिया। इससे मध्य प्रदेश और राजस्थान में गेहूं महंगा हो गया। जबकि स्थानीय मंडी करों के कारण पंजाब और हरियाणा में गेहूं पहले से ही महंगा रहा है। ऐसे में देशभर में सबसे सस्ता गेहूं उत्तर प्रदेश में मिलेगा। इसीलिए बहुराष्ट्रीय कंपनियां यूपी में गेहूं की खरीद ज्यादा करेंगी। यूपी में भी किसानों से 2275 रुपये न्यूनतम समर्थन मूल्य पर गेहूं खरीदा जा रहा है।

निजी कंपनियों के भंडारण की सीमा घटाई

बहुराष्ट्रीय व बड़ी कंपनियों में पूरे साल के लिए गेहूं का स्टॉक रखने की प्रवृत्ति होती है। इसके मद्देनजर सरकार ने पहले ही निजी कंपनियों की भंडारण क्षमता घटा दी है। 12 जुलाई 2023 को शासनादेश जारी किया था कि कोई भी निजी कंपनी 3000 मीट्रिक टन से ज्यादा गेहूं का भंडारण नहीं कर सकती है। जनवरी 2024 में नया आदेश जारी किया कि 500 मीट्रिक टन से ज्यादा भंडारण निजी कंपनियां नहीं कर सकेंगी। निजी कंपनियों को ये संकेत दे दिया गया है कि मौसम के दौरान गेहूं की जमाखोरी नहीं करें। हालांकि गेहूं उद्योग से जुड़े एक सूत्र ने बताया कि भंडारण क्षमता की सीमा तय करने से भी बहुत फर्क नहीं पड़ेगा, क्योंकि बड़ी कंपनियां इस तरह के फैसलों के लिए पहले से ही तैयार रहती हैं। ऐसी सूरत में तमाम छोटी कंपनियों के जरिये गेहूं खरीद लिया जाता है।

 



Source link

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *