
(पर्वत सिंह बादल)✍️
(धर्म) हनुमान जी और अंगद जी दोनों ही अत्यंत बलशाली और समुद्र लांघने में सक्षम थे। फिर प्रश्न उठता है कि लंका जाने के लिए पहले हनुमान जी को ही क्यों भेजा गया?
जब श्रीराम की सेना लंका के रहस्यों को जानने और सीता माता की स्थिति का पता लगाने के लिए विचार कर रही थी, तब अंगद जी ने भी जाने की इच्छा व्यक्त की। लेकिन उन्होंने साथ ही यह भी कहा—
“||अंगद कहइ जाउँ मैं पारा।
जियँ संसय कछु फिरती बारा||”
अर्थात, “मैं तो समुद्र लांघकर लंका जा सकता हूँ, लेकिन लौटने को लेकर मेरे मन में कुछ संदेह है।”
अंगद जी को लौटने में क्या संदेह था?
अंगद जी बालि के समान ही बुद्धिमान और पराक्रमी थे। लेकिन उनके मन में लंका से लौटने को लेकर एक बड़ा संशय था। इसके पीछे एक गुप्त कारण था, जो बहुत कम लोगों को ज्ञात है।
दरअसल, अंगद और रावण का पुत्र अक्षय कुमार दोनों एक ही गुरु के शिष्य थे। अंगद जी बहुत बलशाली थे और अपनी शरारतों के लिए प्रसिद्ध भी थे। वे अक्सर अक्षय कुमार को थप्पड़ मारकर मूर्छित कर देते थे।
अक्षय कुमार बार-बार गुरु जी के पास शिकायत करने जाता, लेकिन जब यह अधिक बढ़ गया, तो गुरु जी ने क्रोधित होकर अंगद को श्राप दे दिया— यदि तुमने अब अक्षय कुमार पर हाथ उठाया, तो उसी क्षण तुम्हारी मृत्यु हो जाएगी!”
अंगद जी इसी श्राप से भयभीत थे। यदि वे लंका जाते और उनका सामना अक्षय कुमार से होता, तो वे उस पर प्रहार नहीं कर सकते थे। अगर गलती से उन्होंने हमला कर दिया, तो वे स्वयं मारे जाते।
रावण को भी था इसका ज्ञान
रावण को इस बात की जानकारी थी कि वानरों में बाली और अंगद ही ऐसे योद्धा हैं जो समुद्र लांघने में सक्षम हैं। चूंकि बाली पहले ही श्रीराम के हाथों मारा जा चुका था, तो उसे विश्वास था कि यदि कोई वानर लंका में प्रवेश कर रहा है, तो वह अवश्य अंगद ही होगा।
इसी कारण जब राक्षसों ने रावण को बताया कि एक बलशाली वानर लंका में उत्पात मचा रहा है, तो रावण ने सबसे पहले अक्षय कुमार को भेजा। उसे लगा कि यदि वह वानर अंगद हुआ, तो अक्षय कुमार उसे आसानी से परास्त कर देगा।हनुमान जी ने अक्षय कुमार का वध क्यों किया?
अक्षय कुमार सेना लेकर हनुमान जी से युद्ध करने आया। लेकिन हनुमान जी ने देखते ही उसे वृक्ष की शाखा से पकड़कर पटक दिया और अंततः उसका वध कर दिया—
“पुनि पठयउ तेहिं अच्छकुमारा।
चला संग लै सुभट अपारा॥
आवत देखि बिटप गहि तर्जा।
ताहि निपाति महाधुनि गर्जा॥”
जब अक्षय कुमार का वध हुआ, तब रावण को संदेह हुआ कि यह अंगद नहीं, बल्कि कोई और शक्तिशाली वानर है। इसलिए उसने सीधे मेघनाद को भेजा और आदेश दिया—
“मारसि जनि सुत बाँधेसु ताही।
देखिअ कपिहि कहाँ कर आही॥”
यानी “उसे मारना मत, बंधी बनाकर लाओ, मैं देखना चाहता हूँ कि यह वानर कौन है।”अंगद जी का संशय समाप्त हुआ
हनुमान जी त्रिकालदर्शी थे और जानते थे कि जब तक अक्षय कुमार जीवित रहेगा, अंगद लंका में प्रवेश नहीं कर सकते। इसलिए उन्होंने पहले उसका वध कर दिया।
अब अंगद निःसंकोच लंका में प्रवेश कर सकते थे। यही कारण है कि हनुमान जी पहले लंका गए और बाद में अंगद जी “शांति दूत” बनकर लंका गए।
निष्कर्ष
हनुमान जी के लंका जाने का निर्णय केवल उनकी शक्ति के कारण नहीं, बल्कि रणनीतिक कारणों से भी लिया गया था। यदि अंगद पहले जाते, तो अक्षय कुमार के कारण वे गंभीर संकट में पड़ सकते थे।
हनुमान जी ने पहले लंका जाकर मार्ग प्रशस्त किया और अक्षय कुमार का वध कर अंगद जी के संशय को समाप्त किया। इसी कारण आगे चलकर अंगद रावण की सभा में शांति दूत के रूप में गए और अपना पराक्रम दिखाया।