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अदालत। – फोटो : अमर उजाला।
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इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 25 साल से लंबित मामले में महाराजगंज के डीएम और फरेंदा के चकबंदी बंदोबस्त अधिकारी से तीन दिन में जवाब मांगा है। कहा है कि ऑर्डर शीट ‘सामान्य तिथि’ टिप्पणी के साथ और वकीलों की हड़ताल का हवाला देते हुए स्थगन से भरी है। जबकि, हड़ताल पूरी तरह से अवैध है। इसके चलते मामले की कार्यवाही स्थगित नहीं की जा सकती है। यह आदेश जेजे मुनीर ने निर्मला की याचिका पर दिया।
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फरेंदा निवासी निर्मला ने पिता की मौत के बाद जमीन अपने नाम चढ़वाने के लिए चकबंदी बंदोबस्त अधिकारी के समक्ष अपील दाखिल की, जो 25 साल से लंबित थी। शीघ्र निस्तारण के निर्देश की मांग करते हुए हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की।
अधिवक्ता कमलेश कुमार निषाद ने दलील दी कि याची की जमीन उसे नाबालिग बताते हुए पट्टीदारों ने अपने नाम दर्ज करा ली है। याची वर्षों से परेशान है। अपील के शीघ्र निस्तारण के लिए दिशानिर्देश जारी करने की प्रार्थना की।
कोर्ट ने पाया कि लंबित अपील की ऑर्डर-शीट स्थगन से भरी है। कोर्ट ने स्थगन के संबंध में सुप्रीम कोर्ट के पूर्व कैप्टन हरीश उप्पल बनाम भारत संघ व अन्य मामलों के आदेशों को जिक्र किया। कहा कि जिला मजिस्ट्रेट (चकबंदी के जिला उप निदेशक) सुप्रीम कोर्ट के निर्णयों और इस आदेश की टिप्पणियों को पढ़ने के बाद जवाब देंगे। मामले की सुनवाई अब छह जनवरी होगी।