परिवार की जिम्मेदारी संभालने वाली महिलाएं घर की दहलीज पार कर पुरुषों को हर क्षेत्र में पीछे छोड़ रही हैं। उनके हाथों में चूल्हा-चौका की जगह अब गाड़ी की स्टीयरिंग व्हील आ गई है। इससे जहां उनका आत्मविश्वास बढ़ रहा है। वहीं उन्हें रोजगार का एक अवसर मिल रहा है। यही कारण है कि जिले में लाइट मोटर व्हीकल के लिए लाइसेंस बनवाने वाली महिलाओं की संख्या साल दर साल बढ़ रही है।
जनपद में वर्ष 2025 में जनवरी से सितंबर तक करीब 3191 टू-व्हीलर, थ्री-व्हीलर और फोर व्हीलर के लाइसेंस बने। इनमें से करीब 639 महिलाओं ने ऑटो, ई-रिक्शा और कार चलाने के लिए लाइसेंस बनवाए हैं। इसमें कई महिलाएं ऐसी भी हैं जो व्यावसायिक वाहन चलाकर रोजगार कर रही हैं और साबित कर रही हैं कि वह भी किसी क्षेत्र में पुरुषों से पीछे नहीं हैं। वे अपने आप को आत्मनिर्भर बनाकर अपना और परिवार का भरण-पोषण कर सकती हैं।