
– फर्जीबाड़ा कर हो रहा जमकर भृष्टाचार
– सफ़ेद कागजों में ही दौड़ रहे मनरेगा मजदूर
– कार्यस्थल की नही देखी सूरत कागजों में कर रहे मजदूरी
–
ब्यूरो रिपोर्ट सोनू महाराज
(उरईजालौन)कालपी : सरकार एक तरफ भ्रष्टाचार पर लगाम मंगरोल की निति पर काम करने की बात कर रही है. वहीं दूसरी तरफ में कार्यरत जिम्मेदार अधिकारियों के चलते केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी मनरेगा योजना जमीनी धरातल पर उतरने से पहले ही भ्रष्टाचार के भेंट चढ़ रही है।
महेवा ब्लॉक के महेवा तथा मंगरोल के मजरा बसान्ताल में क्षेत्र पंचायत द्वारा जेसीबी मशीन से कार्य करवाकर फर्जी हाजरी लगाई जा रही है जबकि गांव के मजदूरों को गांव में ही रोजगार उपलब्ध कर मजदूरों को दूसरे प्रदेश में पलायन से रोकने के लिए चलाई जा रही मनरेगा योजना जिम्मेदारों के चलते भ्रष्टाचार के भेंट चढ़ गयी है क्षेत्र पंचायत में या फिर ग्राम पंचायत में होने वाले कार्य में अधिकारियों द्वारा भृष्टाचार को आवोहवा दी जाती है ऐसा ही एक मामला महेवा विकास खंड में मनरेगा योजना में जमकर हो रहे भ्रष्टाचार में दिखाई दिया ।
विकास खंड महेवा की ग्राम पंचायत महेवा तथा मंगरोल में क्षेत्र पंचायत द्वारा कराये जा रहे कार्य में भृष्टाचार की आगोस दिखाई दी जिसमें कराये जा रहे कार्य जो बसान्ताल में चकरोड का कार्य वर्तमान समय में मास्टररोल व मजदूरों की हाजरी साहित ऑनलाइन डाटा नेट पर प्रदर्शित किया गया जबकि मनरेगा का कोई कार्य करवाया ही नही गया फर्जी कार्य दिखाकर सफ़ेद कागजों में खाना पूर्ति की गयी तो वहीं जब कार्य का व्यौरा जानने पर मजदूरों से बात की गयी तो उन्होंने बताया कि अब तक तो किसी प्रकार का मनरेगा कार्य नही कराया जा रहा है करीब एक या दो साल पहले ही हम मजदूरों ने मनरेगा कार्य में मजदूरी की थी। मनरेगा कार्य को लेकर जब इसकी जमीन स्तर पर पड़ताल की गई तो मनरेगा योजना में हो रही भ्रष्टाचार की कलई परत दर परत खुलकर सामने आने लगी. जो गांव में कभी साइड पर नहीं जाते हैं उनके नाम से साइड पर कार्य करते हुए आनलाइन मास्टरोल में हाजिरी लगा दी जाती है. ग्राम पंचायत में नियुक्त तकनीकी सहायक द्वारा बिना साइड पर गए एमबी कर दी जाती हैं, मजदूरों के खाते में पैसे भेज कर निकलवा लिया जाता है. जिसमें दो चार सौ रुपए उन मजदूरों को पैसे दे दिए जाते है, जिनको मनरेगा मजदूर बनाया गया और वो कभी साइड पर नहीं जाते हैं.
कागजी आंकड़ों में कार्य समाप्ति और पेमेंट
सबसे बड़ी बात हैं कि मनरेगा योजना से हो रहें कार्यों में कहीं भी कार्य स्थल कार्य शुरू होने और समाप्ति तक डिस्पले बोर्ड नहीं लगता. डिस्पले बोर्ड तब लगाया जाता जब उस परियोजना का कागज़ी आंकड़ों में काम होकर पेमेंट हो जाता. ताकि ग्रामीणों को इसकी जानकारी न होने पाएं की इस सड़क पर मिट्टी कार्य कार्य हो रहा और कितने मजदूर काम कर रहें हैं. और कितने मजदूरों का फर्जी हाजिरी लगाकर पेमेंट कराया जा रहा है. इसमें सबसे बड़ी समस्या उन मजदूरों को हो रही जो वास्तविक मजदूर हैं और उनको रोजगार नहीं मिल पा रहा. इस समय मनरेगा योजना में सरकारी धन का बंदरबाट खूब हो रहा है।