
रेडियो
– फोटो : अमर उजाला
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महबूब यानी रेडियो वही है…बस वक्त के बदलाव के साथ कद्रदानों की मोहब्बत का अंदाज बदल गया है। रेडियो अब अलमारी से जेब में उतर आया है। अपनी पसंद को सुनना पहले से ज्यादा सहूलियत भरा है। इसी से लोग सुन भी रहे हैं। शहर में एफएम स्टेशनों में इजाफे के साथ सुनने वालों की तादाद भी बढ़ रही है।
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