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मथुरा पुलिस गंभीर आपराधिक मामलों में भी थानों में मुकदमा दर्ज करने के नाम पर लापरवाही कर रही है। छाता पुलिस का ऐसा ही लापरवाही भरा रवैया नरी गांव की वृद्धा शकुंतला के साथ मारपीट और उसकी उपचार के दौरान मौत के मामले में सामने आया। पुलिस ने वृद्धा की मौत के बाद उस पर हमले का मुकदमा दर्ज किया। यह मुकदमा भी तब दर्ज हुआ, तब पीड़ित पक्ष ने थाने में शव रख प्रदर्शन करने की धमकी दी।
छाता थाना क्षेत्र के गांव नरी के जगदीश का आरोप है कि 7 मई को गांव के हरी पुत्र भरती उसके भाई रक्षपाल, लक्ष्मण व खुद व खुद भरती ने उनके घर के दरवाजे के सामने मिट्टी डलवा दी। 8 मई को सुबह 7 बजे ताई शकुंतला व भाई लक्ष्मण ने इन लोगों से मिट्टी हटाने को कहा। इसके बाद वे हथियार लेकर घर में आए और ताई शकुंतला व भाई लक्ष्मण को बुरी तरह पीटा। घायल ताई को लेकर पहले मथुरा के जिला अस्पताल लेकर पहुंचे। वहां उपचार न होने पर उसी दिन भरतपुर के निजी अस्पताल में भर्ती कराया।
इस घटना की 13 मई को तहरीर दी गई। इसके बाद भी पुलिस ने मुकदमा दर्ज नहीं किया। 14 व 15 मई को वह थाने गए तो उनको टरका दिया गया। 14 मई को ही वह एसएसपी कार्यालय गए। वहां से भी सिर्फ आश्वासन मिला। इस मामले में फैक्स के जरिये आईजी व मानवाधिकार आयोग में भी शिकायत की। जगदीश के अनुसार 18 मई की रात ताई की उपचार के दौरान मौत हो गई। अगले दिन रविवार तड़के ही पुलिस को इसकी जानकारी दी गई। तब भी पुलिस ने मामले को गंभीरता से नहीं लिया।
इसके बाद थाने में शव रखकर प्रदर्शन की चेतावनी दी। तब पुलिस ने उन्हें बुलाया और केडी चौकी पर पंचायतनामा भरवाया गया। 13 मई को दी गई तहरीर पर ही हमले की धाराओं में मुकदमा 19 मई की सुबह 11.15 बजे के करीब लिखा गया। जबकि इससे पहले ही मौत की सूचना दे दी थी।
एसपी देहात त्रिगुण बिसेन ने बताया कि मुकदमे को पोस्टमार्टम रिपोर्ट के आधार पर सुसंगत धारा में तरमीम कराया जाएगा। पुलिस ने देरी से मुकदमा दर्ज क्यों किया, इसको लेकर जवाब तलब करेंगे।
