year 2024 From BJP point of view year of shocks lessons and comebacks proof of cm Yogi organizational skills

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year 2024 From BJP point of view
– फोटो : अमर उजाला ग्राफिक

उत्तर प्रदेश में भाजपा के नजरिये से 2024 खट्टे-मीठे अनुभव वाला साल माना जाएगा। इस साल प्रदेश में भाजपा के सासंदों की संख्या 62 से घटकर 32 और राजग को 64 से 36 रह गई। नतीजतन राष्ट्रीय राजनीति में प्रदेश का वर्चस्व घटा। वाराणसी से सांसद नरेंद्र मोदी को सीएम से लेकर पीएम तक की अपनी यात्रा में पहली बार ऐसे गठबंधन की सरकार बनानी पड़ी, जिसमें भाजपा के पास पूर्ण बहुमत नहीं है।

साल 2024 को भाजपा के बिजय रथ पर ब्रेक और सांसदों की दृष्टि से प्रदेश में 10 साल के बाद भाजपा को दूसरे नंबर की पार्टी बना देने वाले साल के तौर याद किया जाएगा। हालांकि, साल उत्तरते-उतरते भाजपा गठबंधन ने विधानसभा उपचुनाव की नौ में से सात सीटें जीतकर फिर पहले नंचर का रुतबा हासिल कर लिया।




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रामलला के दरबार में सीएम।
– फोटो : अमर उजाला।

भावनाओं के सम्मान का सार्वजनिक शंखनाद

भाजपा के लिए 2024 की शुरुआत उम्मीदों के साथ हुई थी। लोकसभा चुनाव की गूंज के बीच रामलला की जन्मस्थान पर प्राण-प्रतिष्ठा हुई। इसके मुख्य यजमान देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बने। स्वतंत्र भारत में पहली बार किसी प्रधानमंत्री ने देश के बहुसंख्यकों की भावनाओं के सम्मान का सार्वजनिक शंखनाद किया।

 


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रामलला के दरबार में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी।
– फोटो : amar ujala

मोदी का रामलला की प्राण प्रतिष्ठा में मुख्य यजमान बनना युगांतकारी

पीएम मोदी का यह कदम कितना अभूतपूर्व था, इसे सोमनाथ की पुनर्प्रतिष्ठा पर पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू की आपत्तियों को याद करके समझा जा सकता है। तब पंडित नेहरू ने कार्यक्रम में जाने से मना कर दिया था। साथ ही राष्ट्रपति को भी रोकने की कोशिश की थी। हालांकि, राष्ट्रपति कार्यक्रम में गए। ऐसे में मोदी का पीएम के तौर पर रामलला की प्राण प्रतिष्ठा में मुख्य यजमान बनना युगांतकारी कदम था।

 


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अयोध्या में सीएम योगी।
– फोटो : अमर उजाला।

जाते-जाते दर्द कम कर गया साल

पीएम के इस कदम से ऐसा माहौल बना, जिससे लगा कि मोदी का लोकसभा चुनाव में 400 पार का नारा हकीकत में बदलेगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। प्रदेश में भाजपा की सीटें ही नहीं घटीं, बल्कि फैजाबाद (अयोध्या) सीट भी भाजपा हार गई। यह भाजपा के लिए बड़ा झटका था। उपचुनाव में विधानसभा की नी सीटों में से सात जीतकर भाजपा ने इसी साल उस झटके के दर्द को कम जरूर कर लिया।

 


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योगी के संगठनात्मक कौशल का मिला प्रमाण
– फोटो : अमर उजाला

योगी के संगठनात्मक कौशल का मिला प्रमाण

उपचुनाव में जीत का बड़ा श्रेय प्रदेश सरकार के मुखिया योगी आदित्यनाथ और कार्यकर्ताओं के साथ उनके सीधे संवाद की जाएगा। सीएम ने उपचुनावों को चुनौती के रूप रूप में लिया। सारी सीटों के लिए खुद न्यूह र रचना की। अगर कहा जाए कि 2024 में जाते-जाते उपचुनाव के नतीजों के जरिये योगी के प्रशासनिक कौशल के साथ संगठनात्मक कौशल का भी प्रमाण दे दिया है ती अतिश्योक्ति नहीं होगी।

 




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