भावनाओं के सम्मान का सार्वजनिक शंखनाद
भाजपा के लिए 2024 की शुरुआत उम्मीदों के साथ हुई थी। लोकसभा चुनाव की गूंज के बीच रामलला की जन्मस्थान पर प्राण-प्रतिष्ठा हुई। इसके मुख्य यजमान देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बने। स्वतंत्र भारत में पहली बार किसी प्रधानमंत्री ने देश के बहुसंख्यकों की भावनाओं के सम्मान का सार्वजनिक शंखनाद किया।
मोदी का रामलला की प्राण प्रतिष्ठा में मुख्य यजमान बनना युगांतकारी
पीएम मोदी का यह कदम कितना अभूतपूर्व था, इसे सोमनाथ की पुनर्प्रतिष्ठा पर पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू की आपत्तियों को याद करके समझा जा सकता है। तब पंडित नेहरू ने कार्यक्रम में जाने से मना कर दिया था। साथ ही राष्ट्रपति को भी रोकने की कोशिश की थी। हालांकि, राष्ट्रपति कार्यक्रम में गए। ऐसे में मोदी का पीएम के तौर पर रामलला की प्राण प्रतिष्ठा में मुख्य यजमान बनना युगांतकारी कदम था।
जाते-जाते दर्द कम कर गया साल
पीएम के इस कदम से ऐसा माहौल बना, जिससे लगा कि मोदी का लोकसभा चुनाव में 400 पार का नारा हकीकत में बदलेगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। प्रदेश में भाजपा की सीटें ही नहीं घटीं, बल्कि फैजाबाद (अयोध्या) सीट भी भाजपा हार गई। यह भाजपा के लिए बड़ा झटका था। उपचुनाव में विधानसभा की नी सीटों में से सात जीतकर भाजपा ने इसी साल उस झटके के दर्द को कम जरूर कर लिया।
योगी के संगठनात्मक कौशल का मिला प्रमाण
उपचुनाव में जीत का बड़ा श्रेय प्रदेश सरकार के मुखिया योगी आदित्यनाथ और कार्यकर्ताओं के साथ उनके सीधे संवाद की जाएगा। सीएम ने उपचुनावों को चुनौती के रूप रूप में लिया। सारी सीटों के लिए खुद न्यूह र रचना की। अगर कहा जाए कि 2024 में जाते-जाते उपचुनाव के नतीजों के जरिये योगी के प्रशासनिक कौशल के साथ संगठनात्मक कौशल का भी प्रमाण दे दिया है ती अतिश्योक्ति नहीं होगी।