
ताजमहल
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उत्तर प्रदेश के आगरा में योगेश्वर श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संघ ट्रस्ट ने ताजमहल को तेजोलिंग महादेव का मंदिर बताया। ट्रस्ट ने सिविल न्यायालय जूनियर डिवीजन में वाद दायर किया। मामले में सुनवाई नौ अप्रैल को होगी। वाद में दावा किया गया कि ताजमहल का अस्तित्व शाहजहां से पहले का है। यह मूल रूप से तेजोलिंग महादेव मंदिर है।
ट्रस्ट के अध्यक्ष और वादी अधिवक्ता अजय प्रताप सिंह ने बताया कि उन्होंने वर्ष 2023 में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग में सूचना अधिकारी के तहत जानकारी मांगी थी। सवाल किया था कि ताजमहल कब बनना शुरू हुआ? कब काम खत्म हुआ? ताजमहल के भवन की आयु क्या है? इसका एएसआई ने जवाब देते हुए बताया कि ताजमहल एक रिसर्च का विषय है, जिसके लिए आप ताजमहल की वेबसाइट और संबंधित पुस्तकों को पढ़ सकते हैं।
यह तेजोलिंग महादेव का मंदिर है
एएसआई के कहे अनुसार, उन्होंने ताजमहल के विषय में अनुसंधान करना शुरू किया, जिसमें उन्होंने बाबरनामा, हुमायूंनामा, रॉयल एशियाटिक सोसाइटी ऑफ बंगाल, एएसआई के बुलेटिन, एपिग्राफिका इंडिका, विश्वकर्मा प्रकाश, पुराण इत्यादि पढ़े। अधिवक्ता ने बताया कि सभी का विश्लेषण करने पर यह साबित होता है कि ताजमहल का अस्तित्व शाहजहां से पहले का है। मूल रूप से यह तेजोलिंग महादेव का मंदिर है, जिसे तेजो महालय कहते थे।
ये लोग बने वादी
अधिवक्ता ने एक जनवरी 2024 को वाद फाइल किया था, जिसमें कोर्ट ने धारा 80 (1) सिविल प्रकिया संहिता की कार्रवाई पूरी करने को कहा था। इस पर विपक्षीगणों को नोटिस भेजा था। इसकी दो माह की समय सीमा भी निकल गई। बुधवार को वाद दायर किया। वाद में श्री भगवान श्री तेजो महादेव, योगेश्वर श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संघ ट्रस्ट, क्षत्रिय शक्तिपीठ विकास ट्रस्ट व अधिवक्ता अजय प्रताप सिंह वादी हैं।
नौ अप्रैल को होगी सुनवाई
इसके साथ ही सचिव संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार, महानिदेशक एएसआई, अधीक्षक आगरा सर्किल, महानिदेशक यूपी टूरिज़्म प्रतिवादी हैं। सुनवाई सिविल जज जूनियर डिवीजन छह शिखा सिंह की कोर्ट में हुई। सुनवाई के दौरान वादी और अधिवक्ता अजय प्रताप सिंह, अभिनव कुलश्रेष्ठ, अनुराग शर्मा व हर्ष कुमार शर्मा उपस्थित रहे। कोर्ट ने अगली सुनवाई की तारीख नौ अप्रैल नियत की है।
