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राजूपाल हत्याकांड के गवाह उमेश पाल की हत्या के बाद लगातार बदल रहे घटनाक्रम ने राज्य सरकार को खासी एहतियात बरतने को मजबूर कर दिया है। उमेश पाल की हत्या करने वाले अतीक के बेटे असद और शूटर गुलाम के एनकाउंटर और प्रयागराज में अतीक और अशरफ की हत्या के बाद राज्य सरकार फूंक-फूंक कर आगे कदम बढ़ा रही है। यही वजह है कि दोनों ही मामलों में न्यायिक जांच आयोग का गठन किया गया है ताकि भविष्य में इन घटनाओं को लेकर कोई राज्य सरकार पर सवाल न उठा सके।
बताते चलें कि अतीक और अशरफ की मौत के बाद राज्य सरकार ने तीन सदस्यीय न्यायिक जांच आयोग का गठन करने के साथ एसआईटी भी बनाने का निर्णय लिया था। एसआईटी बनने से अतीक और अशरफ की मौत के मामले के हर पहलू की गहराई से विवेचना की जा सकेगी। वहीं, एसआईटी पर नजर रखने के लिए डीजीपी आरके विश्वकर्मा ने मॉनीटरिंग टीम भी बनाई है, जिसमें प्रयागराज जोन के एडीजी, पुलिस कमिश्नर और विधि विज्ञान प्रयोगशाला के निदेशक को शामिल किया गया है। दरअसल, अतीक और अशरफ की हत्या के मामले की जांच सीबीआई से कराने की मांग लगातार कुछ संगठनों और सियासी दल उठा रहे हैं। दोनों प्रकरणों में न्यायिक जांच आयोग का गठन इस पर विराम लगाने की कवायद मानी जा रही है।
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बिकरू कांड की जांच भी न्यायिक आयोग को
इससे पहले कानपुर के बिकरू कांड की जांच भी न्यायिक आयोग से कराई गयी थी। सुप्रीम कोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश बीएस चौहान की अध्यक्षता में बनाए गये आयोग में हाईकोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश शशिकांत अग्रवाल और पूर्व डीजीपी केएल गुप्ता को शामिल किया गया था। आयोग ने अपनी जांच में बिकरू कांड के बाद हुए छह एनकाउंटर को सही ठहराया था। साथ ही, बिकरू कांड में दोषी पाए गये पुलिस अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने की संस्तुति की थी। सुप्रीम कोर्ट ने भी बाद में न्यायिक जांच आयोग की रिपोर्ट पर मुहर लगा दी थी।
रिवर फ्रंट घोटाले की भी कराई जांच
वर्ष 2017 में प्रदेश में भाजपा सरकार बनने के बाद सपा सरकार में बनाए गये गोमती रिवरफ्रंट की जांच भी न्यायिक आयोग से कराई गयी थी। इलाहाबाद हाईकोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश आलोक सिंह की अध्यक्षता में गठित समिति ने रिवरफ्रंट के निर्माण में करोड़ों रुपये की वित्तीय अनियमितता होने की पुष्टि की थी। न्यायिक जांच आयोग की सिफारिश पर राजधानी में दोषी पाए गये सिंचाई विभाग के इंजीनियरों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया था। बाद में राज्य सरकार ने इस प्रकरण की जांच सीबीआई से कराने की संस्तुति की थी।