
आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे
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उत्तर प्रदेश में बनाया गया आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे 10 जिलों से गुजरता है। इसकी कुल लंबाई 302 किमी है। इस पर सड़क दुर्घटना में कितने लोगों की जान गई है, इसकी जानकारी यूपीडा के पास नहीं है। उत्तर प्रदेश एक्सप्रेसवे इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट अथारिटी (यूपीडा) ने सड़क हादसे के बाद कितनी बार एंबुलेंस भेजी, यह ब्योरा भी उपलब्ध नहीं है।
दरअसल, सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता केसी जैन द्वारा आरटीआई में मांगी गई सूचना में यूपीडा का यह चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। अधिवक्ता केसी जैन ने बताया कि यूपीडा को एक्सप्रेसवे पर ट्रैफिक नियमों के उल्लंघन में न तो चालान की जानकारी है और न ही हादसों में जान गंवाने वाले लोगों की।
घायलों को हॉस्पीटल पहुंचाने का ब्योरा भी नहीं
यूपीडा ने आरटीआई में जवाब दिया है कि दस जिलों से गुजर रहे एक्सप्रेसवे पर उल्लंघन की जानकारी पुलिस से मिलेगी, जबकि आगरा, फिरोजाबाद, मैनपुरी, इटावा, औरेया, कन्नौज, कानपुर, हरदोई, उन्नाव और लखनऊ जिलों से निकल रहे एक्सप्रेसवे पर 50 पीटीजेड कैमरे लगे हुए हैं। आरटीआई में एंबुलेंस द्वारा घायलों को हॉस्पीटल पहुंचाने का ब्योरा मांगा गया, जो यूपीडा नहीं दे पाया।
10 एंबुलेंस तैनात, पर कितनी बार चलीं, पता नहीं
यूपीडा ने आरटीआई में बताया कि उनके पास 10 एंबुलेंस हैं। इनका उपयोग कब हुआ, इसका ब्योरा नहीं है। अधिवक्ता केसी जैन ने इस पर चिंता जताई कि जब हादसों, चालान और ट्रैफिक नियमों के उल्लंघन की जानकारी ही नहीं है तो यूपीडा कैसे सड़क हादसों को रोकने की योजना बनाएगा। यूपीडा को ऑनलाइन डैशबोर्ड बनाना चाहिए। उसमें हादसों की रियल टाइम सूचनाएं मिलें। यह मामला वह सुप्रीम कोर्ट की रोड सेफ्टी कमेटी व सुप्रीम कोर्ट के सामने उठाएंगे।