Investigation starts to stop the selling of fake medicines.

प्रतीकात्मक तस्वीर।
– फोटो : Istock

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नकली दवाओं की बिक्री के खिलाफ अमर उजाला के अभियान शुरू करने के बाद खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन विभाग (एफएसडीए) की नींद खुल गई है। नकली दवा की सैंपल जांच रिपोर्ट के बाद तत्काल इनकी बिक्री पर रोक लगा दी गई है। प्रदेश मुख्यालय से सभी औषधि निरीक्षकों को बैंच नंबर की जानकारी देते हुए निरंतर जांच के आदेश दिए गए हैं। औषधि निरीक्षकों को हर माह सैंपल भरकर विवरण भी देना होगा।

वाराणसी में एसटीएफ व एफएसडीए ने बीते माह नकली दवाओं के साथ कई लोगों को गिरफ्तार किया था। पड़ताल के बाद लखनऊ में सैंपल लिए गए, जिनकी जांच रिपोर्ट गड़बड़ मिलने पर संबंधित बैच नंबर की बिक्री पर रोक लगा दी गई है। इनमें रक्तचाप, हृदयरोग के मरीजों को दी जाने वाली टेल्मा 40 बैच नंबर 18210779 और टेल्मा एच बैच नंबर 18210425 शामिल हैं। इन दोनों दवाओं के सैंपल आंध्र प्रदेश में भी फेल हो गए हैं। इसी तरह गैस की दवा पैन 40 का बैच नंबर 22442076 एवं पैन डी बैच नंबर 22441755 भी नकली पाया गया है।

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ये नकली दवाएं यहां से तेलंगाना भी भेजी गई थीं। एफएसडीए के सहायक आयुक्त ब्रजेश कुमार ने बताया कि लखनऊ की मुख्य दवा मंडी से हर दिन संदिग्ध दवाओं के सैंपल भरे जा रहे हैं। जिनकी रिपोर्ट गलत आ गई है, उनकी बिक्री रोक दी गई है। तीन दिन में करीब 25 सैंपल जांच के लिए भेजे गए हैं। इनकी रिपोर्ट आने के बाद संबंधित बैच पर फैसला लिया जाएगा। इसी तरह हरदोई, उन्नाव, सीतापुर सहित आसपास के अन्य जिलों में भी जांच शुरू हो गई है।

ये दवाएं भी मिलीं नकली

लखनऊ में जनवरी में लिए गए सैंपल की भी जांच रिपोर्ट आ गई है। इसमें सेफिक्सिम (जीफी) 200 बैच नंबर 012 डी 107, रुमेटाइन 625 के बैच नंबर एएसटी 21002 और डिक्लोगम टैबलेट बैच नंबर एसटी 8075 नकली पाई गईं है। सहायक आयुक्त ने बताया कि इससे पहले मई 2022 में नकली दवाएं मिलने पर ओमेज डीएसआर के बैच नंबर ई 2200235, अगस्त 2022 में बिना बैच नंबर की दवा ट्रैमासेट (बुखार में प्रयोग होने वाली), विगोर 50 बैच नंबर जीएसआईओ 228, बिना बैच की अल्प्राजोलाम और सेंसोर आन 50 के साथ दो व्यक्तियों को जेल भेजा गया।

उप आयुक्त एफएसडीए संजीव कुमार चौरसिया का कहना है कि जिनकी रिपोर्ट आ गई है, उन दवाओं के बारे में सभी औषधि निरीक्षकों को जानकारी भेज दी गई है। नकली दवाएं जो भी बेचता पाया जाएगा, उसके खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराई जाएगी। पूरे प्रदेश में जांच अभियान भी शुरू कर दिया गया है। औषधि निरीक्षक हर दिन कहीं न कहीं सैंपल लेंगे। इसे माहवार समीक्षा में भी शामिल कर लिया गया है।



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