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Rebels of samajwadi party creating problems in UP Nikay Chunav.

– फोटो : सोशल मीडिया

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समाजवादी पार्टी अपने घर में ही घिरती नजर आ रही है। आलू पट्टी में पार्टी के कई नेता बागी बन गए हैं। उनके ताल ठोकने से पार्टी की मुश्किलें बढ़ गई हैं। ऐसे में अंतिम समय मान मनौव्वल का दौर शुरू हो गया है। पार्टी की कोशिश है कि बागियों को मनाकर भाजपा से सीधा मुकाबला किया जाए।

सपा के गढ़ इटावा में सपा ने इदरीश को टिकट दिया तो दो बार के चेयरमैन रहे जहीर अंसारी ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया है। हालांकि वह किसके साथ रहेंगे, अभी पत्ता नहीं खोला है। भरथना में अजय यादव को टिकट मिलने पर मनोज पोरवाल बागी बनकर हाथी पर सवार हो गए हैं। उन्होंने बसपा से अपनी पुत्रवधू वर्तिका को मैदान में उतार दिया है। जसवंत नगर में पार्टी उम्मीदवार सत्यनारायण के खिलाफ पार्टी के ही वरिष्ठ नेता राजेंद्र दिवाकर ने आप के टिकट पर ताल ठोक दी है।

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लखना में पहले सतीश को उम्मीदवार बनाया गया, लेकिन अगले दिन प्रदीप तिवारी के नाम की घोषणा हो गई। ऐसे में सतीश बसपा उम्मीदवार के तौर पर मैदान में आ गए हैं। बकेवर में पार्टी ने पहले अरबउल्ला खां को उम्मीदवार बनाया और बाद में रेशमा को टिकट दे दिया। ऐसे में अरबउल्ला निर्दल प्रत्याशी के रूप में सपा की मुश्किलें बढ़ा रहे हैं। सपा भोगांव में अधिकृत उम्मीदवार नहीं उतार पाई है। यहां पार्टी समर्थक पूर्व चेयरमैन नसरीन बानो और चांदनी निर्दल उम्मीदवार के तौर पर मैदान में हैं। ऐसे में लोगों की निगाह लगी है कि पार्टी किसे अपना उम्मीदवार घोषित करती है। इसी तरह औरैया में पहले विपिन गुप्ता को प्रत्याशी बनाया गया और अगले दिन ब्रह्मानंद गुप्ता के नाम की घोषणा कर दी गई। अब दोनों मैदान में हैं।

फर्रुखाबाद के खिंवसेपुर में पार्टी से विमल प्रताप और संगीता यादव मैदान में हैं। कन्नौज सदर में सपा ने यासमीन को उम्मीदवार बनाया तो हाजी रईस अहमद बागी बन गए और बसपा से मैदान में उतर गए हैं। मैनपुरी में पार्टी ने सुमन वर्मा को उम्मीदवार बनाया तो पूर्व चेयरमैन साधना गुप्ता बागी बन गईं। हालांकि उनका पर्चा खारिज हो गया, लेकिन साधना ने विकल्प के तौर पर अपनी बहू नेहा गुप्ता का भी पर्चा दाखिल करा दिया था। अकबरपुर में सपा ने पहले वंदना निगम को प्रत्याशी बनाया और फिर जितेंद्र सिंह के नाम की घोषणा कर दी। तीन दिन बाद वंदना के नाम की दोबारा घोषणा हुई तो जितेंद्र सिंह ने निर्दल उम्मीदवार के तौर पर ताल ठोक दी है।

यही हाल अन्य स्थानों पर भी है। ऐसे में कानपुर मंडल के जिलों में अंतिम दिन पार्टी नेताओं ने मान मनौव्वल शुरू कर दी है। बागियों को मनाकर नाम वापस लेने का प्रयास किया जा रहा है। पार्टी इस इलाके में किसी भी कीमत पर ज्यादा से ज्यादा सीटें जीतने की कोशिश में जुटी है। पार्टी के रणनीतिकार इस बात से वाकिफ हैं कि बागियों के मैदान में होने से पार्टी को अपने ही घर में मात मिलनी तय है।

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