संघ लोक सेवा आयोग की ओर से आयोजित प्रशासनिक सेवा परीक्षा 2022 का परिणाम मंगलवार को घोषित कर दिया गया। इसमें राजधानी के 20 से ज्यादा होनहारों ने शानदार पंच लगाया है। अनुभव ने 34वीं, रजत ने 37वीं, शुभम ने 41वीं, तो मनन अग्रवाल ने 46वीं व अनुजा त्रिवेदी ने 80वीं रैंक हासिल की है। अमर उजाला ने इन मेधावियों से बात करके उनकी सफलता की कहानी जानने का प्रयास किया। पेश है रिपोर्ट-
सफलता में आईएएस पत्नी ने निभाई बड़ी भूमिका
अनुभव सिंह, रैंक 34
सेठ एमआर जयपुरिया स्कूल से 12वीं तक की पढ़ाई की। इसके बाद डीयू से पॉलिटिकल साइंस में बीए ऑनर्स और जामिया से परास्नातक किया। जेआरएफ के बाद मैंने सिविल सेवा की तैयारी शुरू की। यह मेरा पांचवां प्रयास था। मेरा मानना है कि विषय पर अच्छी पकड़ होनी चाहिए।
श्रेय : मेरी सफलता में मेरी मेहनत के साथ पिता रामदेव सिंह और मां स्व. अनीता सिंह के साथ ही पत्नी दीक्षा जैन का रोल बेहद अहम है। दीक्षा खुद भी 2019 बैच की आईएएस अधिकारी हैं। इस समय सीडीओ फिरोजाबाद के पद पर तैनात हैं।
ऑनलाइन पढ़ाई करके हासिल की सफलता
शुभम कुमार, 41वीं रैंक
मैं इस समय एक्साइज विभाग में लक्षद्वीप में कार्यरत हूं। सिविल सेवा की तैयारी के लिए मैंने ऑनलाइन माध्यम का खूब सहारा लिया। लखनऊ में संस्कृत संस्थान की निशुल्क कोचिंग का मुझे काफी फायदा मिला। मेरे पिता सत्येंद्र कुमार किसान और मां सीमा देवी गृहिणी हैं। मेरा मानना है कि अगर हम समय प्रबंधन पर ध्यान दें, तो सफलता जरूर मिलती है।
ज्यादा पढ़ने के पीछे न भागें, तैयारी के साथ परिवार को भी समय दें: मनन अग्रवाल
रैंक 46
ऐशबाग में रहने वाले मनन बताते हैं, यह मेरा तीसरा प्रयास था। तैयारी के दौरान भी मैंने अपनी हॉबीज और परिवार को समय दिया। क्योंकि यह यात्रा एक या दो महीने की नहीं है, सालों साल लगते हैं। पढ़ाई के पीछे ज्यादा भागने के बजाय नोट्स के रिवीजन पर जोर दें। मैंने ऑनलाइन क्लासेज के साथ ही सेल्फ स्टडी की। पिता मनमोहन अग्रवाल व्यवसायी हैं। मां सीमा अग्रवाल ने हमेशा मोटिवेट किया।
ईमानदारी के साथ करें मेहनत: गौरी प्रभात
रैंक 47
मेरी पैदाइश कानपुर की है और पिता की पोस्टिंग लखनऊ में रही है। यह मेरा तीसरा प्रयास रहा। मैंने दिन का ज्यादा से ज्यादा समय पढ़ाई को दिया। मैंने खुद के नोट्स बनाए, उनमें कमियां खोजी और दूर किया। मेरा मानना है कि सबके जीवन में तनाव है, चुनौतियां हैं। पापा का हमेशा से ही मार्गदर्शन रहा है। तैयारी करने वालों से मैं कहना चाहती हूं कि वे खुद पर विश्वास करें और ईमानदारी से मेहनत करें।
अपने नोट्स खुद बनाएं, बार-बार दोहराएं: अनुजा त्रिवेदी
रैंक : 80
यह मेरा तीसरा प्रयास था। खुद के नोट्स बनाएं और बार-बार उन्हें दोहराएं। बिना मेहनत और लगन के कुछ भी हासिल नहीं होने वाला है। तैयारी के दौरान बीच-बीच में तनाव होता है, बाधाएं आती हैं, लेकिन उन्हें दरकिनार कर पढ़ाई पर फोकस करने से ही सफलता मिलती है। पिता अभिराम त्रिवेदी प्रशासनिक पद पर रहे हैं। माता गृहिणी हैं।
अपनी कमजोरियों को पहचानें और दूर करें: आदित्य श्रीवास्तव
रैंक : 236
आईआईएम रोड निवासी आदित्य बताते हैं कि यह उनका दूसरा प्रयास था। वह बताते हैं, मैंने बहुत मेहनत के बजाय स्मार्ट स्टडी करने पर फोकस किया। मैंने पुराने पेपरों को सॉल्व कर खुद का विश्लेषण किया कि मैं कहां गलती कर रहा हूं। पिता अजय श्रीवास्तव सीएजी के पद पर हैं। मां आभा त्रिवेदी गृहिणी हैं।