एक बार फिर उत्तर प्रदेश के Muzaffarnagar ने सामाजिक चेतना और सांस्कृतिक अधिकारों की आवाज़ बुलंद की है। जाट महासभा के कई दर्जन पदाधिकारियों ने एकजुट होकर ज़िले के डीएम कार्यालय का रुख किया और प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को संबोधित करते हुए एक महत्त्वपूर्ण ज्ञापन जिलाधिकारी उमेश मिश्रा को सौंपा। ज्ञापन में मांग की गई कि हाल ही में रिलीज़ हुई “जाट फिल्म” को प्रदेश में टैक्स फ्री किया जाए, ताकि आम जनता तक यह फिल्म बड़े पैमाने पर पहुंच सके और समाज की ऐतिहासिकता, संस्कृति और संघर्षों को सही रूप में प्रस्तुत किया जा सके।
📽️ जाट समाज की आत्मा से जुड़ी फिल्म
फिल्म “जाट” केवल एक सिनेमाई प्रस्तुति नहीं, बल्कि एक पूरे समुदाय की कहानी है—उस समाज की, जिसने अपने खून-पसीने से देश की मिट्टी को सींचा है, जिसने अपने आत्मसम्मान और अधिकारों के लिए सदैव संघर्ष किया है। जाट महासभा के वरिष्ठ पदाधिकारी धर्मवीर बालियान ने बताया कि यह फिल्म केवल मनोरंजन का साधन नहीं, बल्कि एक सामाजिक दस्तावेज़ है। उन्होंने कहा, “जाट समाज की ऐतिहासिकता, योगदान और बलिदान को जिस तरह इस फिल्म में दर्शाया गया है, वह अविस्मरणीय है।”
जाट महासभा के दर्जनों पदाधिकारियों ने अध्यक्ष धर्मवीर बालियान के नेतृत्व में डीएम उमेश मिश्रा को अच्छा कार्य करने पर जाट महासभा का प्रतीक चिन्ह मोमेंटो देकर सम्मानित किया pic.twitter.com/SglOGWK0TY
— News & Features Network (@newsnetmzn) April 17, 2025
📝 मुख्यमंत्री को संबोधित ज्ञापन में क्या है?
ज्ञापन में स्पष्ट किया गया है कि जाट समाज की यह फिल्म सामाजिक समरसता और इतिहास की झलक को जन-जन तक पहुंचाने का कार्य कर रही है। टैक्स फ्री करने से इस फिल्म की पहुंच ज़्यादा से ज़्यादा लोगों तक होगी, विशेषकर ग्रामीण और निम्न आय वर्ग के दर्शकों तक। इसके साथ ही प्रदेश सरकार की ‘सांस्कृतिक विरासत को सहेजने’ की नीति का भी सम्मान होगा।
ज्ञापन में यह भी उल्लेख किया गया है कि कई राज्यों में इस तरह की सामाजिक और ऐतिहासिक फिल्मों को टैक्स फ्री किया गया है, जिससे जनता में जागरूकता बढ़ी है और समाज में एकता का संदेश गया है। ऐसे में उत्तर प्रदेश सरकार को भी इस दिशा में कदम बढ़ाते हुए “जाट” फिल्म को टैक्स फ्री कर देना चाहिए।
👥 कौन-कौन रहे उपस्थित?
ज्ञापन सौंपने पहुंचे प्रतिनिधिमंडल में जाट महासभा के वरिष्ठ नेता धर्मवीर बालियान के साथ—
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कुलदीप सिंह तोमर
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अशोक राठी
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संजय कसाना
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बलराज नागर
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डॉ. संजीव भदौरिया
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राकेश सिरोही
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वीरेश चौहान
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विक्रम बालियान
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अनीता चौधरी
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सौरभ मलिक
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रीना राठी
जैसे दर्जनों पदाधिकारी मौजूद रहे। सभी ने एक स्वर में मांग की कि यह फिल्म समाज के हर वर्ग को जागरूक करने का कार्य कर रही है और इसे टैक्स फ्री करना समय की मांग है।
🎞️ जनता की प्रतिक्रिया भी गर्म
मुजफ्फरनगर के सिनेमाघरों के बाहर दर्शकों की भारी भीड़ देखने को मिल रही है। खासकर युवा वर्ग इस फिल्म को लेकर अत्यंत उत्साहित नजर आ रहा है। गांव-गांव में इस फिल्म की चर्चा हो रही है। फिल्म में जहां समाज की गौरवशाली गाथा है, वहीं आज की सामाजिक चुनौतियों और संघर्षों को भी बेहद प्रभावशाली ढंग से दिखाया गया है।
दर्शकों का कहना है कि “जब देश की आजादी की लड़ाई में योगदान देने वाले समाज की कहानी को कोई दिखाता है, तो उसे प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। सरकार का यह दायित्व है कि वह ऐसे प्रयासों को मजबूती दे।”
🎬 फिल्म की कहानी में क्या है खास?
जाट फिल्म में दिखाया गया है कि कैसे एक सामान्य किसान परिवार का युवक अन्याय और भेदभाव के विरुद्ध आवाज़ उठाता है। उसकी यह लड़ाई सिर्फ व्यक्तिगत नहीं बल्कि पूरे समाज की होती है। फिल्म में ग्रामीण जीवन, परंपराएं, जातीय संघर्ष, प्रेम, बलिदान और आत्मसम्मान को बखूबी दिखाया गया है। फिल्म की पटकथा सशक्त है, संवाद दमदार हैं और अभिनय ऐसा कि दर्शक भावुक हो जाएं।
🏛️ डीएम ने दिया आश्वासन
जिलाधिकारी उमेश मिश्रा ने प्रतिनिधिमंडल से ज्ञापन प्राप्त कर यह भरोसा दिलाया कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ तक यह मांग पूरी गंभीरता से पहुंचाई जाएगी। डीएम ने कहा कि समाज की भावनाओं को प्राथमिकता दी जाएगी और सरकार को उचित कार्रवाई हेतु संस्तुति भेजी जाएगी।
🔥 राजनीति भी गरमाई
इस मुद्दे को लेकर राजनीतिक गलियारों में भी सरगर्मी बढ़ गई है। कुछ राजनीतिक दलों ने भी इस मांग का समर्थन किया है और इसे सांस्कृतिक गौरव से जोड़ा है। विपक्षी दलों ने सरकार से यह सवाल पूछा है कि अगर सरकार वाकई में ‘सबका साथ, सबका विकास’ के नारे पर काम कर रही है, तो उसे ऐसे समाजहित में बनी फिल्मों को बिना देरी टैक्स फ्री कर देना चाहिए।
📢 आगे की रणनीति
जाट महासभा ने संकेत दिए हैं कि अगर सरकार इस मांग पर कोई त्वरित निर्णय नहीं लेती है, तो प्रदेश भर में आंदोलन की रणनीति बनाई जा सकती है। पदाधिकारियों ने कहा कि यह मामला केवल एक फिल्म का नहीं बल्कि समाज की अस्मिता और पहचान का है।
📌 निष्कर्ष नहीं, एक और शुरुआत:
यह मांग अब सिर्फ ज्ञापन तक सीमित नहीं रह गई है, बल्कि एक जनांदोलन का रूप ले रही है। उत्तर प्रदेश के कोने-कोने से आवाज़ उठ रही है कि “जाट फिल्म” को टैक्स फ्री किया जाए। आने वाले दिनों में यह विषय और ज़्यादा गरमाने वाला है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ इस पर क्या फैसला लेते हैं। क्या यह फिल्म समाज के लिए एक नई क्रांति का कारण बनेगी? क्या सरकार समाज की भावनाओं को सम्मान देगी?
जवाब जल्द ही सामने होंगे, लेकिन फिलहाल… जाट समाज की यह मांग गूंज बनकर पूरे प्रदेश में फैल चुकी है।