मोरना।(Muzaffarnagar)  सोलानी नदी के कहर से अब जल्द ही निजात मिलने वाली है। उत्तराखंड के बुलाकीपुर से लेकर मुजफ्फरनगर के फरीदपुर खुशीपुरा तक 23 किलोमीटर लंबे कच्चे तटबंध का निर्माण किया जाएगा, जिससे हर साल बाढ़ की विभीषिका झेल रहे किसानों और ग्रामीणों को राहत मिलेगी। इस योजना पर 113 करोड़ रुपये की लागत आएगी, और इसके बन जाने के बाद करीब 22 गांवों को बाढ़ के खतरे से सुरक्षित किया जा सकेगा।

गंगा बाढ़ नियंत्रण आयोग की टीम ने किया निरीक्षण

इसी कड़ी में, गंगा बाढ़ नियंत्रण आयोग, पटना और जल संसाधन विभाग, मेरठ के अधिकारियों ने शुकतीर्थ पहुंचकर गंगा घाट और आसपास के इलाकों का मुआयना किया। टीम में शामिल चीफ इंजीनियर ज्ञानप्रकाश श्रीवास्तव, गंगा बाढ़ नियंत्रण आयोग के सदस्य अजय कुमार, अधीक्षण अभियंता भारतेन्दु गौड़, अधिशासी अभियंता प्रमोद कुमार समेत कई अन्य अधिकारियों ने स्थानीय प्रतिनिधियों और ग्रामीणों से बातचीत की।

क्यों जरूरी है यह तटबंध?

सोलानी नदी हर साल बारिश के मौसम में उफान पर आ जाती है, जिससे आसपास के खेतों और गांवों में पानी भर जाता है। किसानों की फसलें बर्बाद हो जाती हैं, और ग्रामीणों को भारी नुकसान उठाना पड़ता है। इस समस्या से निपटने के लिए 17 मीटर चौड़े आधार और 5 मीटर चौड़ी ऊपरी सतह वाला तटबंध बनाया जाएगा, जो नदी के दाएं किनारे पर होगा। इसके निर्माण के बाद बाढ़ का पानी गांवों और खेतों तक नहीं पहुंच पाएगा।

स्थानीय समितियों और संतों का आशीर्वाद

अधिकारियों ने श्री गंगा सेवा समिति के महामंत्री डॉ. महकार सिंह, प्रबंधक देवेन्द्र आर्य और उप मंत्री चौधरी सुरेन्द्र सिंह से भी चर्चा की। इसके बाद टीम ने श्री शुकदेव आश्रम में स्वामी ओमानन्द महाराज से आशीर्वाद लिया। महाराज ने अधिकारियों को पटका पहनाकर सम्मानित किया और शुकतीर्थ दर्शन पत्रिका भेंट की। उन्होंने इस योजना को ग्रामीणों के लिए वरदान बताया।

किन गांवों को मिलेगा फायदा?

यह तटबंध उत्तराखंड के बुलाकीपुर से शुरू होकर रजकालापुर, चंद्रावाला, चानचक, अलमावाला, जिन्दावाला से होते हुए फरीदपुर और खुशीपुरा तक बनाया जाएगा। इससे न केवल किसानों की फसलें सुरक्षित रहेंगी, बल्कि ग्रामीणों की जान-माल की हानि भी रुकेगी।

कब तक पूरा होगा प्रोजेक्ट?

अधिकारियों ने बताया कि यह परियोजना जल्द ही शुरू की जाएगी और समयबद्ध तरीके से पूरी की जाएगी। सरकार का लक्ष्य है कि अगले बाढ़ के मौसम से पहले ग्रामीणों को इसका लाभ मिलने लगे।

मुजफ्फरनगर के ग्रामीणों के लिए यह योजना एक नई उम्मीद लेकर आई है। अगर सब कुछ योजना के अनुसार रहा, तो आने वाले वर्षों में बाढ़ का खतरा काफी हद तक कम हो जाएगा और किसानों की आर्थिक स्थिति में सुधार होगा।



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