रायबरेली। वित्तीय वर्ष 2022-23 में गांवों को मॉडल बनाने के लिए मिले बजट को 15 ग्राम पंचायतों के पंचायत सचिवों ने खर्च नहीं किया। डेढ़ साल बाद भी इन गांवों में 1.75 करोड़ रुपये डंप होने के मामले में 12 पंचायत सचिवों को प्रथम दृष्टया दोषी पाया गया है। इन्हें दो दिन का अंतिम मौका दिया गया है। काम शुरू न कराने पर विभागीय कार्रवाई की प्रक्रिया शुरू करने की चेतावनी दी गई है।

डीपीआरओ नवीन सिंह ने बताया कि पिछले वित्तीय वर्ष में स्वच्छ भारत मिशन के तहत मॉडल बनाने के लिए गांवों को बजट दिया गया था। जिले की 15 ग्राम पंचायतों में अब तक पूरा बजट खर्च नहीं किया गया है। इन गांवों में 1.75 करोड़ रुपये से अधिक की धनराशि डंप है। लापरवाही बरतने पर अमावां ब्लॉक के अमावां ग्राम पंचायत की वीडीओ (ग्राम विकास अधिकारी) सुष्मिता सिंह, सिधौना व रूपामऊ के वीडीओ नाहिद अनवर, सतांव ब्लॉक के पोरई के वीडीओ सत्येंद्र सिंह, कोंसा व गोझरी के वीडीओ संतशरण दोषी पाए गए हैं।

इसके अलावा बरदर व ओनई पहाड़पुर के वीडीओ कमलेश तिवारी, रोहनिया ब्लॉक के रसूलपुर के वीडीओ घनश्याम सिंह, राही के बेलाभेला के वीपीओ (ग्राम पंचायत अधिकारी) संजय प्रताप सिंह, बेलागुसीसी के वीडीओ रणवीर सिंह, बेलाखारा के वीडीओ सर्वेश मिश्रा, ऊंचाहार ब्लॉक के ऊंचाहार देहात व पट्टी रहस कैथवल के वीडीओ महेंद्र सिंह, अरखा के वीडीओ अभिषेक शुक्ला दोषी मिले हैं। संबंधितों को नोटिस देकर दो दिन में काम शुरू कराने के आदेश दिए गए हैं। ऐसा न करने पर विभागीय कार्रवाई होगी।



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