Muzaffarnagar News | खतौली |पुलिस ने 24 साल पुराने मामले में फरार चल रहे एक वांछित अपराधी को गिरफ्तार कर लिया है। अपराधी रमेश पुत्र पिरथी, जो कि वर्ष 2001 से फरार था, को पुलिस ने विशेष अभियान के तहत धर दबोचा। यह अपराधी अदालत से मफरूर घोषित था और पुलिस द्वारा इस पर 10,000 रुपये का इनाम रखा गया था।

वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक अभिषेक सिंह के नेतृत्व में मुजफ्फरनगर पुलिस लगातार ईनामी अपराधियों की धरपकड़ के लिए विशेष अभियान चला रही है। इसी कड़ी में पुलिस अधीक्षक नगर तथा क्षेत्राधिकारी खतौली के निर्देशन में थाना प्रभारी बृजेश कुमार शर्मा और उनकी टीम ने इस अपराधी को गिरफ्तार करने में सफलता पाई।

कैसे दबोचा गया 24 साल से फरार रमेश?

गिरफ्तार अपराधी रमेश का नाम 2001 में एक गंभीर मामले में सामने आया था, जिसमें घर में घुसकर मारपीट, जान से मारने की धमकी और गाली-गलौच का आरोप था। जमानत मिलने के बाद रमेश कोर्ट में पेश नहीं हुआ और फरार हो गया। पुलिस को उसकी तलाश थी, लेकिन वह लगातार अपने ठिकाने बदलता रहा।

सूत्रों के मुताबिक, रमेश पिछले कई सालों से दिल्ली में छिपकर रह रहा था और अपनी पहचान छुपाने के लिए वहां फर्जी नाम से मजदूरी कर रहा था। लेकिन पुलिस की सतर्कता और खुफिया जानकारी के आधार पर उसे खतौली क्षेत्र में पकड़ लिया गया।

गिरफ्तारी के पीछे पुलिस की खास रणनीति

पुलिस के लिए 24 साल पुराने एक फरार अपराधी को पकड़ना आसान नहीं था। लेकिन वरिष्ठ अधिकारियों के निर्देशन में बनी एक विशेष टीम ने इस पर काम किया।

🔹 सर्विलांस और खुफिया जानकारी का इस्तेमाल: पुलिस ने आधुनिक तकनीक का सहारा लिया और अपराधी के पुराने संपर्कों पर नज़र रखी।
🔹 संदिग्ध ठिकानों की निगरानी: रमेश के पुराने जान-पहचान वालों और रिश्तेदारों से जानकारी जुटाई गई।
🔹 गुप्त सूचना पर छापेमारी: जैसे ही पुलिस को उसके खतौली में आने की खबर मिली, एक विशेष ऑपरेशन चलाकर उसे गिरफ्तार कर लिया गया।

गिरफ्तारी करने वाली टीम में कौन-कौन शामिल रहा?

इस महत्वपूर्ण कार्रवाई को अंजाम देने वाली पुलिस टीम में निम्नलिखित अधिकारी शामिल रहे:
प्रभारी निरीक्षक (थाना खतौली): बृजेश कुमार शर्मा
उप निरीक्षक: नंद किशोर शर्मा
हेड कांस्टेबल: मुनीश शर्मा
कांस्टेबल: सौबीर तेवतिया
कांस्टेबल: निरोत्तम सिंह

रमेश ने कबूला जुर्म – क्या कहा पूछताछ में?

गिरफ्तारी के बाद रमेश ने पुलिस पूछताछ में स्वीकार किया कि वर्ष 2001 में उसके खिलाफ थाना खतौली में मुकदमा दर्ज हुआ था। उसने माना कि जमानत के बाद वह कोर्ट में पेश नहीं हुआ और दिल्ली में जाकर छिप गया।

“मैं कोर्ट जाने से डरता था कि मुझे सज़ा हो जाएगी, इसलिए छुपता रहा। दिल्ली में दिहाड़ी मजदूरी करता था और पहचान छुपाने के लिए अलग नाम से रह रहा था।”

क्या होगा अब? – आगे की कानूनी कार्रवाई

पुलिस ने रमेश को अब न्यायिक हिरासत में भेज दिया है, जहां से उसे कोर्ट में पेश किया जाएगा। 24 साल से फरार होने के कारण उसकी जमानत रद्द हो चुकी है, और अब उसे जेल भेजे जाने की पूरी संभावना है।

ईनामी अपराधियों के खिलाफ यूपी पुलिस का सख्त रुख

उत्तर प्रदेश पुलिस अपराधियों के खिलाफ “ऑपरेशन क्लीन” चला रही है, जिसमें ऐसे अपराधियों की धरपकड़ की जा रही है, जो सालों से फरार हैं।
🔸 2023 में 200 से अधिक इनामी अपराधियों को गिरफ्तार किया गया।
🔸 50,000 रुपये से अधिक के इनामी अपराधियों की सूची तैयार की गई है।
🔸 सर्विलांस, मुखबिर तंत्र और डिजिटल ट्रैकिंग का सहारा लिया जा रहा है।

मुजफ्फरनगर में अपराध पर शिकंजा – खतौली बनी पुलिस के लिए फोकस एरिया

मुजफ्फरनगर में गुंडागर्दी और अपराध पर लगाम लगाने के लिए पुलिस लगातार कड़ी कार्रवाई कर रही है।
✔ हाल ही में कई वांछित अपराधियों को गिरफ्तार किया गया।
गैंगस्टर एक्ट और एनएसए के तहत कई बदमाशों की संपत्तियां जब्त की गईं।
✔ पुलिस अब साइबर अपराध और मादक पदार्थों के तस्करों के खिलाफ भी सख्त अभियान चला रही है।

आखिर कब रुकेगा अपराध? – प्रशासन की कड़ी नजर

खतौली और आसपास के क्षेत्रों में लगातार अपराधों की घटनाएं बढ़ती जा रही थीं, लेकिन पुलिस की सक्रियता ने अपराधियों को दबाव में डाल दिया है।
👉 क्या ऐसे मामलों में पुलिस को और भी सख्ती बरतनी चाहिए?
👉 क्या पुराने मामलों को तेजी से सुलझाने के लिए नए कानून बनाए जाने चाहिए?

रमेश की गिरफ्तारी इस बात का सबूत है कि अपराध करने के बाद कोई भी कानून से बच नहीं सकता। 24 साल बाद भी यूपी पुलिस ने अपना काम पूरा किया और अपराधी को उसके अंजाम तक पहुंचाया। इससे न केवल प्रशासन की तत्परता जाहिर होती है बल्कि यह भी साबित होता है कि अपराधियों को कभी भी कानून से भागने का मौका नहीं मिलेगा।



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