गौरीगंज (अमेठी)। अफसरों की लापरवाही के चलते पांच साल बीतने के बाद भी जिले में कार्यक्रम क्रियान्वयन प्रकोष्ठ (एनसीडी सेल) का संचालन शुरू नहीं हो सका। इसका संचालन शुरू होने से गैर संचारी रोग कैंसर, शुगर, हार्ट, लकवा, मानसिक समेत कई बीमारियों के उपचार की सुविधा ग्रामीणों को उनके गांव में ही मुहैया होगी।

केंद्र सरकार की ओर से ग्रामीणों को उनके गांव में ही गैर संचारी रोगों का उपचार व इलाज की सुविधा मुहैया कराने के लिए कार्यक्रम क्रियान्वयन प्रकोष्ठ का संचालन कराने की कवायद 2018 में शुरू की गई थी। इसके लिए सीएचसी स्तर पर आठ लाख रुपये की लागत से उपकरणों की खरीद होनी थी। कुछ पदों पर आउट सोर्सिंग तो कुछ पर एनएचएम के जरिए स्वीकृत पदों के सापेक्ष कर्मचारियों की तैनाती की जानी थी।

स्वास्थ्य महकमे की लापरवाही का आलम यह है कि पांच साल बीतने के बाद भी इसका संचालन पूरी तरह से शुरू नहीं किया जा सका है। साल 2018 में ही जिला स्तर से लेकर सीएचसी, पीएचसी, सब सेंटर व हेल्थ वेलनेस सेंटर स्तर पर इसका संचालन शुरू कराना था।

मरीजों को बड़े शहरों में जाना पड़ता

अफसरों की उदासीनता के चलते अब तक सीएचसी, पीएचसी व सब सेंटर की कौन कहे जिला स्तर पर ही अब तक कोई कार्रवाई नहीं हो सकी है। इसकी मुख्य वजह राज्य स्तर से मानव संसाधन की तैनाती नहीं होना बताया जा रहा है। ऐसे में ग्रामीणों को जिले के साथ ही लखनऊ व प्रयागराज जैसे बड़े शहर के अस्पतालों में जाना पड़ रहा है। जिला स्तर पर एपिड नियोलॉजिस्ट, फाइनेंस कम लॉजिस्टक आफीसर, प्रोगाम समन्वयक, डाटा इंट्री ऑपरेटर, काउंसलर, कार्यक्रम अधिकारी व एलटी की तैनाती की जानी थी।

ऐसे होता उपचार

संचालन शुरू होने के बाद ग्राम स्तर पर आशा, एएनएम व आंगनबाड़ी फार्म-एक पर मरीजों की स्क्रीनिंग कर उन्हें सूचीबद्ध रिपोर्ट पीएचसी प्रभारी को देती। इसके बाद ऐसे मरीजों को सीएचसी जिला अस्पताल या फिर स्थिति गंभीर होने पर लखनऊ स्थित केजीएमयू उपचार के लिए रेफर किया जाना था।

किए जाते यह इलाज

इन सेंटरों पर ग्रामीण क्षेत्र के गैर संचारी रोगों से ग्रसित शुगर, हार्ड, लकवा, मानसिक, कैंसर, मुंह का कैंसर, गले का कैंसर, ब्रेस्ट का कैंसर, सरवाइकल कैंसर, दंत रोग, वृद्धावस्था मानसिक रोगी की पहचान कर उन्हें इलाज मुहैया कराना जाना है।

आंशिक रूपसे शुरू हो गया संचालन

कार्यक्रम के तहत आंशिक रूप से संचालन शुरू करा दिया गया है। सीएमओ कार्यालय में कक्ष का निर्धारण करते हुए पूर्व से तैनात कर्मचारियों से काम कराया जा रहा है। तैनाती के लिए मिशन निदेशक से पत्राचार किया जा रहा है। दवाओं की खरीद हो गई है। तैनाती होते ही पूर्ण रूप से संचालन शुरू करा दिया जाएगा।

डॉ. विमलेंदु शेखर, सीएमओ



Source link

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *