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(उरई जालौन ) उरई: उच्च न्यायालय इलाहाबाद एवं उत्तर प्रदेश राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के निर्देशानुसार 03 दिवसीय रिफ्रेशर प्रशिक्षण जनपद जालौन में संचालित ‘लीगल एड क्लीनिक‘ प्रायोजना के अन्तर्गत विभिन्न तहसील क्षेत्रों में कार्यरत समस्त P.L.V.का प्रशिक्षण कार्यक्रम दिनांक 02/11/2023 को जिला दीवानी न्यायालय सभागार उरई में आयोजित किया गया। इसका विधिवत् उद्घाटन पूर्वान्ह में जनपद न्यायाधीश लल्लू सिंह ने मां सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण करते हुये दीप प्रज्ज्वलन करके किया। इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में सहभागी पैरालीगल वालंटियर्स को प्रशिक्षक/रिसोर्स-पर्सन द्वारा एक दिवसीय प्रशिक्षण प्रदान किया गया।
प्रशिक्षण कार्यक्रम में अपर जनपद न्यायाधीश/जन सूचना अधिकारी अरूण कुमार मल्ल द्वारा बताया गया कि इस अधिनियम के प्रावधानों के तहत भारत का कोई भी नागरिक किसी भी सरकारी प्राधिकरण से सूचना प्राप्त करने हेतु अनुरोध कर सकता है, यह सूचना 30 दिनों के अंदर उपलब्ध कराई जाने की व्यवस्था की गई है। यदि मांगी गई सूचना जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता से संबंधित है तो ऐसी सूचना को 48 घंटे के भीतर ही उपलब्ध कराने का प्रावधान है। प्राप्त सूचना की विषयवस्तु के संदर्भ में असंतुष्टि, निर्धारित अवधि में सूचना प्राप्त न होने आदि जैसी स्थिति में स्थानीय से लेकर राज्य एवं केंद्रीय सूचना आयोग में अपील की जा सकती है तथा जन सूचना अधिकार अधिनियम की बारीकियों को भी विस्तृत रूप से बताया।मुख्य चिकित्सा अधिकारी जालौन डॉ .एन.डी. शर्मा द्वारा मानसिक स्वास्थ्य अधिनियम के बारे में बताया कि किसी भी व्यक्ति के मानसिक स्वास्थ्य का संबंध उसकी भावनात्मक (इमोशनल), मनोवैज्ञानिक (साइकोलॉजिकल) और सामाजिक (सोशल) स्थिति से जुड़ा होता है। मानसिक स्वास्थ्य से व्यक्ति के सोचने, समझने, महसूस करने और कार्य करने की क्षमता प्रभावित होती है। इसका असर व्यक्ति के तनाव को संभालने और जीवन से जुड़े जरूरी विकल्प के चयन पर भी पड़ सकता है। मानसिक स्वास्थ्य जीवन के प्रत्येक चरण अर्थात बचपन, किशोरावस्था, वयस्कता और बुढ़ापे में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है
वरिष्ठ विद्वान अधिवक्ता यज्ञदत्त त्रिपाठी द्वारा बताया कि भरण-पोषण अधिनियम में नाबालिग बच्चों को छोड़कर, बच्चे और नाती-पोते तथा सौतेले पुत्र, दत्तक पुत्र (जिन्हें गोद लिया गया है), पौत्र, पौत्री, बहू, दामाद को शामिल करता है। इस अधिनियम के अनुसार भरण-पोषण में भोजन, कपड़ा, आवास, चिकित्सीय सहायता और उपचार शामिल हैं।जबकि विधेयक भरण-पोषण में माता-पिता एवं वरिष्ठ नागरिकों के लिये स्वास्थ्य देखभाल, बचाव और सुरक्षा के प्रावधान को भी शामिल करता है ताकि वे गरिमापूर्ण जीवन जी सकें।
इस कार्यक्रम में यातायात उप निरीक्षक उपेन्द्र कुमार द्वारा बताया गया कि मोटर वाहन अधिनियम 1988 में पारित किया गया था और सड़क ट्रांसपोर्ट वाहनों के लगभग हर एक हिस्से को रेगुलेट करता है। यह ड्राइवरों और कंडक्टरों के लाइसेंस, मोटर वाहनों के रजिस्ट्रेशन, उनके परमिट को नियंत्रित करने के प्रावधान, ट्रैफ़िक नियमों, संबंधित इंश्योरेंस, देनदारियों और पेनल्टी पर दिशा-निर्देश प्रदान करता है।
जिला मानसिक स्वास्थ्य अस्पताल, जालौन की डॉक्टर श्रीमती अर्चना विश्वास एवं डॉ0 श्री दिनेश सिंह ने भी मानसिक स्वास्थ्य रोगियों के लक्षण एवं उपचारों के बारे में विस्तृत रूप से जानकारी दी।
प्रभारी सचिव/सिविल जज (सी0डि0), जिला विधिक सेवा प्राधिकरण श्री राजीव सरन ने बताया कि यह प्रशिक्षण आगामी दिनांक 03/11/2023 व दिनांक 04/11/2023 को भी विद्वान प्रशिक्षकों द्वारा पराविधिक स्वयं सेवकों प्रदान किया जायेगा।