Dhrupad Mela artists paid tribute to Shiva with melody rhythm and beat in varanasi

कलाकारों ने पूरी रात सुर, लय व ताल से शिवांजलि अर्पित की।
– फोटो : अमर उजाला

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ध्रुपद तीर्थ सोमवार को सधे कलाकारों की वंशावलियों से सजी रही। पं. अभय रुस्तम सपोरी ने भगवान शिव की आराधना के साथ अपने पिता भजन रुस्तम सपोरी तो डॉ. मधु भट्ट तैलंग ने सुरों से पिता पं. लक्ष्मी भट्ट तैलंग की याद दिलाई। उन्होंने इनकी लयकारियों और बंदिशों को श्रोताओं तक पहुंचाया। कलाकारों ने पूरी रात सुर, लय व ताल से शिवांजलि अर्पित की।

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महाशिवरात्रि के उपलक्ष्य में तुलसी घाट पर महाराज बनारस विद्या मंदिर न्यास और ध्रुपद समिति की ओर से पांच दिवसीय 51वें अंतरराष्ट्रीय ध्रुपद मेले के तीसरे दिन सोमवार को कलाकारों ने भगवान शिव को पूरी रात संगीत सुनाकर आनंदित किया। शर्मिला राय चौधरी के गायन से संगीतमय निशा की शुरुआत हुई। 

उन्होंने राग भूपाली चौताल में निबद्ध ध्रुपद रचना को स्वर दिया। इसके बाद अन्य बंदिशों को सुरों में पिरोया। पखावज पर सुखद मुंडे ने संगत की। दूसरी प्रस्तुति में वरिष्ठ कलाकार पं. माणिक मुंडे का स्वतंत्र पखावज वादन हुआ। उन्होंने पारंपरिक चौताल एवं सूलताल में विभिन्न लयकारियों को कुशलतापूर्वक अभिव्यक्त किया। सारंगी पर गौरी बनर्जी व पखावज पर उनके पुत्र व शिष्य सुखद मुंडे ने संगत की।

तीसरी प्रस्तुति भोपाल के डॉ. श्याम रस्तोगी के सुरबहार वादन की रही। उन्होंने राग विहाग में आलापचारी के साथ चौताल में निबद्ध ध्रुपद रचना को विस्तार दिया। पखावज पर शुभम गुजराती ने संगत की। इसके बाद जयपुर की डॉ. मधु भट्ट तैलंग ने अपने पिता की चर्चित बंदिशों को सुनाया। देर रात अभय रुस्तम सोपोरी ने संतूर, ऋभू सान्याल गायन, भूषण कौष्ठी सूरबहार व ऋतुराज भोसले पखावज से शाम को जवां बनाए रखा।



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