इटावा। शहर में लुहन्ना चौराहा स्थित एक निजी स्कूल के प्रबंधन की लापरवाही की वजह से मंगलवार को 12 से अधिक बच्चों का जीवन संकट में पड़ गया। सुबह कक्षा आठ से लेकर 11 तक के छात्र-छात्राएं अपने-अपने क्लास में बिजली न होने के बावजूद खिड़कियां बंद होने की वजह से गर्मी से बेहाल होकर बेहोश होकर एक के बाद एक गिरने लगे। एक के बाद एक कक्षाओं के छात्र-छात्राओं की हालत बिगड़ने पर प्रशासन ने वाहनों से बच्चों को जिला अस्पताल पहुंचाया।

बच्चों की हालत बिगड़ने और इमरजेंसी में भर्ती होने की सूचना मिलते ही बच्चों के परिजन सीधे जिला अस्पताल पहुंचने लगे। इसकी जानकारी डीएम को हुई तो उन्होंने एसडीएम सदर विक्रम राघव व तहसीलदार सदर राज कुमार जिला अस्पताल पहुंचने के निर्देश दिए। अधिकारी जब निजी स्कूल का निरीक्षण करने पहुंचे तो वहां उन्हें जेनरेटर खराब मिला। पिछले कई दिनों से तापमान 30 डिग्री सेल्सियस से ऊपर चल रहा है। मंगलवार को सुबह से उमस से आमजन काफी बेचैन थे। बावजूद इसके स्कूल प्रबंधन ने छुट्टी नहीं की। न कोई वैकल्पिक प्रबंध किया।

छात्रा अनुप्रिया ने बताया कि बुहत गर्मी थी, बिजली भी नहीं होने पर पंखें भी बंद थे। बहुत तेज गर्मी लग रही थी। गर्मी बर्दाश्त न करने पर पर चक्कर आने के बाद एक के बाद एक सभी बेहोश होने लगे। पूछने पर बताया कि जेनरेटर है जो कभी- कभी चलता है। इन्वर्टर तक नहीं चल रहा था। छात्रा वैष्ण्वी ने बताया कि जब बिजली नहीं होती तब पंखे भी नहीं चलते, गर्मी में बैठना पड़ता है। बिजली आने पर ही पंखे चलते हैं। बताया पहले एक दीदी बेहोश होकर गिरीं, उन्हें देखकर बच्चे रोने लगे। उसके बाद फिर सभी चक्कर आने और घबराहट होने पर बेहोश होकर क्लास में गिरने लगे।

जिला अस्पताल के चिकित्सक डॉ. शांतनु निगम ने कहा कि स्कूल जाने से पहले बच्चे। हेल्दी चीज खाकर, फल या अच्छा नाश्ता खाकर जाएं। शिकंजी पीएं, पानी उबाल कर पीएं। ओआरएस का घोल पीते रहें। विद्यालय प्रबंधन ने पंखे न चलने की बात का खंडन करते हुए कहा कि जेनरेटर चल रहा था। पंखे भी चल रहे थे। एक बंद होने पर दूसरा जेनरेटर चालू हो गया। बच्चों के बेहोश होने के पीछे उनका तर्क था कि छात्राओं ने सोमवार को व्रत रखा था। घर से स्कूल चाय पीकर आईं थीं। पानी की समस्या पर कहा कि आरओ वाटर लगा है, ठंडा पानी मिलता है।

पंखा तो छोड़िए खिड़कियां तक बंद थी

अभिभावक विनोद कुमार ने बताया कि बच्चों ने बताया कि क्लास की खिड़कियां भी बंद थीं। बिजली नहीं होने से पंखे नहीं चल रहे थे। इन्वर्टर तक बंद था। जेनरेटर तक नहीं चल रहा था। एक दो शिक्षकोें के अलावा स्कूल से कोई नहीं नजर आ रहा है। जो शिक्षक आए थे वह भी भाग गए। जिला अस्पताल की इमरजेंसी में आए बच्चों में श्रेया, दिशा, दीक्षा, अभिषेक, निशा, कृतिका, कामिनी, गरिमा, वैष्ण्वी,अनुष्का,अदिति, सिद्धि और शिवानी शामिल हैं। जिनकी उम्र 13 से 15 वर्ष है।



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