
उन्नाव सड़क हादसा
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आगरा एक्सप्रेसवे पर उन्नाव में बुधवार सुबह जो डबलडेकर बस हादसे की शिकार हुई, वह रोजाना बिहार से दिल्ली के बीच सड़क पर काल बनकर दौड़ती थी। परिवहन विभाग और पुलिस की मिलीभगत से बस बगैर परमिट व फिटनेस के करीब 1300 किमी चल रही थी। इस बीच 16 आरटीओ कार्यालयों के क्षेत्र से बस रोज गुजरती थी, पर किसी भी अफसर ने संजीदगी नहीं दिखाई।
बुधवार को आगरा एक्सप्रेसवे पर डबलडेकर बस हादसे में अब तक 18 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि कई घायल हैं। बस संख्या यूपी 95 टी 4720 बिहार के मोतिहारी से दिल्ली के बीच आगरा एक्सप्रेसवे के रास्ते चलती थी। बस की फिटनेस एक जनवरी, 2021 को ही खत्म हो चुकी है। टैक्स भी 30 नवंबर, 2023 तक ही जमा था, वहीं इंश्योरेंस इसी साल दो फरवरी व परमिट भी खत्म हो गया है। ऐसे में सवाल उठना लाजिमी है कि जब बस की फिटनेस, परमिट आदि नहीं था तो चेकिंग अधिकारियों ने बस पर कार्रवाई क्यों नहीं की। इससे यह साफ होता है कि अफसरों व पुलिस की मिलीभगत से यह बस सड़क पर दौड़ रही थी।
चेकिंग में होती रही अनदेखी
डबलडेकर बस बिहार से दिल्ली के बीच कुल 16 आरटीओ कार्यालयों के क्षेत्र से गुजरी, पर फिटनेस, इंश्योरेंस, टैक्स बकाया होने के बावजूद कहीं कोई कार्रवाई नहीं हुई। कुशीनगर, गोरखपुर, संतकबीरनगर, बस्ती, अयोध्या, बाराबंकी, लखनऊ, उन्नाव, हरदोई, कन्नौज, फिरोजाबाद, आगरा, मथुरा, अलीगढ़, नोएडा और गाजियाबाद आरटीओ से बस गुजरती थी।
बस फर्जी पते पर थी पंजीकृत
परिवहन विभाग के अफसरों ने बताया कि डबलडेकर बस के कागजों में जो पता दर्ज है, वह फर्जी है। महोबा के खेतिहर किसान पुष्पेंद्र सिंह के नाम से महोबा में यह बस पंजीकृत है। एआरटीओ व पुलिस की जांच में यह सामने आया है कि मेसर्स केसी जैन ट्रेवल्स नाम की फर्म से पंजीकरण हुआ है। जबकि पुष्पेंद्र का साफ कहना है कि उसके नाम से कोई भी बस रजिस्टर्ड नहीं है।