फतेहपुर। वित्तपोषित माध्यमिक विद्यालयों में पढ़ाई महंगी होने जा रही है। नए सत्र से फीस 10 गुना तक बढ़ाने की तैयारी है। जिलेभर के 83 हजार से ज्यादा छात्र-छात्राओं पर इस फैसला का असर पड़ेगा। जिले में 72 वित्तपोषित माध्यमिक विद्यालय इस समय संचालित हैं।

इन विद्यालयों में पढ़ने वाले ज्यादातर बच्चे आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों से तालुक रखते हैं। वर्तमान में शहर से लेकर गांव तक संचालित निजी स्कूलों में अच्छा-खासा शुल्क निर्धारित है। किसी-किसी विद्यालयों में इंटर की फीस दो से ढाई हजार रुपये प्रति माह है। इन कक्षाओं की किसी भी निजी स्कूल में हजार रुपये मासिक से कम फीस निर्धारित नहीं है। ऐसे में आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों के बच्चे वित्त पोषित विद्यालयों में पढ़ते हैं। यहां की फीस 20 से 30 रुपये प्रति माह ही देनी पड़ती है।

प्रबंधकों की मांग पर शासन अब इन स्कूलों की फीस बढ़ाने की तैयारी में है। शासन से जारी पत्र में 10 गुना तक फीस बढ़ाने की बात कही गई है। नए साल से शुल्क बढ़ोतरी लागू होने से गरीबों की पढ़ाई महंगी हो जाएगी, जिसका असर आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों पर पड़ना तय है।

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इनसेट

राजकीय से कम है एडेड की फीस

वित्तपोषित माध्यमिक विद्यालयों की फीस राजकीय विद्यालयों से भी कम है। राजकीय माध्यमिक में हाईस्कूल की सालाना फीस करीब 600 रुपये है, जबकि वित्तपोषित विद्यालय की फीस राजकीय फीस से 40 फीसदी से भी कम है। राजकीय के भवन के रखरखाव व अन्य सुविधाएं सरकार मुहैया कराती है, लेकिन वित्तपोषित विद्यालय को सभी व्यवस्थाएं प्रबंध कमेटी को करनी होती है। ऐसे में शासन ने वित्तपोषित की फीस बढ़ाने का निर्णय लिया है।

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बयान:-

वित्तपोषित विद्यालयों की फीस राजकीय विद्यालयों से भी कम है। इसी फीस से स्कूल संचालन की व्यवस्थाएं करनी पड़ती हैं। सरकार सिर्फ शिक्षक और शिक्षणेत्तर कर्मचारियों को वेतन देती है। फीस बढ़ने से वित्तपोषित विद्यालयों की व्यवस्था मजबूत होगी, लेकिन अभी तक फीस बढ़ोतरी से संबंधित उन्हें कोई पत्र नहीं मिला है।

– अनुराग श्रीवास्तव, डीआईओएस।



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