औंग। गंगा का जलस्तर 100.86 मीटर से 35 सेंटीमीटर नीचे 100.51 मीटर पर पहुंच गया है। रविवार को कटरी क्षेत्र के खेतों में पानी भर गया है। इससे बाढ़ की आशंका से किसानों के माथे पर चिंता की लकीरें हैं। वहीं, पांडु नदी भी उफान पर है।

दरअलस, कुछ दिन पहले गंगा के जलस्तर में कमी आने के कारण बाढ़ की चिंता छोड़कर किसानों ने अपना ध्यान खेती खेती पर लगा दिया था। धान और मिर्च के पौधों की रोपाई, गेंदा, गुलदवरी की रोपाई, सब्जी की बुआई काफी हद तक पूरी हो चुकी है। अचानक गंगा के बढ़ रहे जलस्तर को देखकर किसानों की रातों की नींदे हराम हो गई हैं। उनका कहना है कि बाढ़ की आशंका के चलते खरीफ की आधी फसलों की बुआई का समय निकल चुका है। फिर से बाढ़ की आशंका से लागत व मेहनत पानी में बहती नजर आ रही है।

बारिश का पानी बाढ़ का कारण

बिंदकी फार्म के अचल बहादुर, योगेंद्र ने बताया कि वर्षा का पानी बाढ़ का कारण बन गया है। पहले भी बैराज और बांधों से गंगा में पानी छोड़ा गया था लेकिन स्थानीय बारिश न होने के कारण बाढ़ निष्प्रभावी हो गई थी। गंगा और पांडु नदी का पानी तेजी से बढ़ रहा है। तराई क्षेत्र जलमग्न हो चुका है। मवेशियों के सामने हरे चारे की समस्या खड़ी हो गई है। हरा चारा न मिलने से दुधारू मवेशियों ने दूध देना कम कर दिया है। हालांकि प्रशासनिक अमला बाढ़ से अनजान है। बाढ़ राहत शिविर बाढ़ चौकियां वीरान हैं।

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कटरी वासियों की बात

बेरी नारी निवासी संतराम निषाद का कहना है कि धीरे-धीरे जलस्तर बढ़ता रहा तो लोगों के भूखों मरने की नौबत आ सकती है। बाढ़ की आशंका से चार महीने से खेतों में कोई भी फसल तैयार नहीं की जा सकी है।

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रामघाट निवासी रामहित का कहना है कि कटरी के लोगों का पूरा जीवन जंगल और पानी से होकर गुजरता है। अब तो यहां के लोग इस बड़ी समस्या से निपटते निपटते इतना अभ्यस्त हो चुके हैं कि बाढ़ में बर्बादी होने के बाद भी कटरीवासी न दुखी होते हैं न द्रवित होते हैं।



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