फतेहपुर। कच्ची शराब का गढ़ बन चुकी बिंदकी तहसील क्षेत्र की कंजरनडेरा बस्ती को नई पहचान दिलाने के लिए पुलिस ने मुहीम छेड़ी है। यहां फैली काले धंधे की बेल को तालीम के हसिया से काटा जाएगा। बकेवर पुलिस ने बस्ती के बच्चों, किशोर-किशोरियों को कच्ची शराब के धंधे से दूर रखने के लिए उन्हें स्कूल भेजना शुरू किया है। इसके लिए जरूरी संस्थान भी मुहैया कराए जा रहे हैं।
”सभी समस्याओं का होगा हल, शिक्षा से बनेगा बेहतर कल” के स्लोगन को बकेवर पुलिस कंजरनडेरा बस्ती में चरितार्थ कर रही है। इस बस्ती के 50-60 घरों में करीब 500 लोग रहते हैं। यहां लगभग हर घर के लोग कच्ची शराब बनाने और बेचने का काम कर रहे हैं। पुलिस और आबकारी की संयुक्त टीमें अक्सर यहां दबिश देती रहती हैं। कच्ची शराब बरामद कर लोगों को पकड़ा जाता है लेकिन इन सबके बाद भी इस बस्ती से कच्ची शराब का धंधा खत्म नहीं हो रहा है। दशकों से यह बदस्तूर जारी है और पीढ़ी दर पीढ़ी आगे बढ़ता जा रहा है।
इस बस्ती की नई पीढ़ी इस काले धंधे से दूर रहे और नशे से होने वाली दुश्वारियों को भली-भांति जान सके इसके लिए पुलिस ने यहां शिक्षा की अलख जगाई है। पुलिस प्रतिदिन गांव के प्राथमिक विद्यालय पहुंचती है। यहां बच्चों को उपहार देकर नियमित रूप से स्कूल आने के लिए प्रेरित करती है। हर घर से बच्चों को निकालकर पुलिस स्कूल तक पहुंचाती है। मुहीम की शुरुआत में बच्चे एमडीएम खाने के बाद घर लौट जाते थे, लेकिन जब उन्हें पढ़ाई से होने वाले फायदे बताकर समझाया गया तो उन्हें पूरे समय स्कूल में रुकना शुरू कर दिया।
बड़े बच्चों के लिए गांव और आसपास स्कूल नहीं है। क्षेत्र के बार्डर पर शकूराबाद में इंटर काॅलेज है। स्कूल दूर होने की वजह से महिलाएं बेटियों को वहां भेजने से झिझकती रही हैं। पुलिस ने उनकी समस्या को दूर कर गांव में अपने खर्च पर टेंपो संचालित कराई। टेंपो छात्र-छात्राओं को सुबह स्कूल ले जाने और वापस लाने का काम कर रही है। विद्यार्थियों को किताब-कॉपी, बैग, स्टेशनरी, जूते-मोजे और यूनिफार्म तक उपलब्ध कराने में पुलिस सहयोग कर रही है।
शराब के धंधे से महिलाओं को बाहर निकालने के लिए पुलिस ने उन्हें स्वयंसेवी बनाया है। यह महिलाएं निगरानी का काम कर रही हैं। इन महिलाओं को समूह से जोड़कर आजीविका के क्षेत्र में आगे बढ़ाने का भी प्रयास किया जा रहा है। ताकि महिलाएं आमदनी करके परिवार चलाने में सहयोग कर सकें। (संवाद)
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हर घर में नौकरीवाले, सेवानिवृत्त होकर धंधे में उतरते
पुलिस के मुताबिक, कंजरनडेरा के 70 प्रतिशत घरों में लोग नौकरी वाले हैं। पंचायत विभाग, पुलिस, शिक्षक, विकास विभाग में नौकरी कर रहे हैं। अधिकांश घरों में पुलिस कर्मी हैं। खास बात यह है कि पुलिस में सिपाही पद से भर्ती होते हैं। इन्हें आरक्षण का लाभ मिलता है। यह दरोगा से सेवानिवृत्त होते हैं। गांव आते ही सेवानिवृत्त कर्मी शराब की भट्ठी सुलगाने में लग जाते हैं। कई बार इन्हें पकड़ा भी जा चुका है।
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कई बार पुलिस को पीटकर बना चुके बंधक
कम आबादी के बाद भी कई बार इसी गांव में प्रधानी रही है। प्रधानी के कारण ग्रामीणों को प्रधान संरक्षण देते आ रहे हैं। यहां पुलिस की कई बार पिटाई हो चुकी है। करीब चार साल पहले थानेदार को बंधक बना लिया था। पुलिस ने गांव से ट्रैक्टर, जेसीबी पकड़ी थी। पुलिस को बैकफुट में आना पड़ा था। दबिश के दौरान भी कई बार पथराव पुलिस को झेलना पड़ा।
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शिक्षा से जोड़कर करके ही यहां के बच्चों और किशोरों को इस धंधे से दूर रखा जा सकता है। कंजरनडेरा से कच्ची शराब के धंधे को खत्म करने के लिए पुलिस हर संभव प्रयास कर रही है। बच्चों की पढ़ाई के लिए हर मदद की जा रही है। इसके लिए बकायदा पुलिसकर्मियों की टीम लगाई गई है जो बच्चों की पढ़ाई-लिखाई पर पूरी नजर रख रही है।
– राजेंद्र त्रिपाठी, थानाध्यक्ष बकेवर।
कंजरनडेरा में मुहीम का का असर दिखने लगा है। पहले घर-घर कच्ची शराब बनती और बेची जाती थी। गांव के बाहर अब कुछ ही लोग निर्माण और बेचते हैं। पुलिस ने इस सत्र में बच्चों को स्कूल भेजने की पहल शुरू की है। पहल काफी प्रभावी है।
– सुनील कुमार, बेंता प्रधान।