– अभी तक डेंगू के मिल चुके हैं तीन मरीज, एक महीने तक चले संचारी रोग नियंत्रण अभियान की खुली पोल
– तेज बुखार से जूझ रहे ग्रामीणों का इलाज करने शनिवार को नहीं पहुंची स्वास्थ्य की टीम
संवाद न्यूज एजेंसी
फतेहपुर/बकेवर। सरांय बकेवर और रूसी गांव में तेज बुखार तेजी से फैल रहा है। शनिवार को सरांय बकेवर में बुखार पीड़ित मरीज की कानपुर ले जाते वक्त मौत हो गई। वहीं, तीन सौ घरों वाले गांव रूसी गांव में सौ से अधिक लोग बुखार से पीड़ित हैं। शुक्रवार को यहां डेंगू के तीन मरीज भी मिल चुके हैं। इन दोनों गांवों में फैल रही संक्रामक बीमारी ने जुलाई माह में चले संचारी रोग नियंत्रण अभियान की भी पोल खोल दी है।
इन गांवों में बीमारी फैलने के बाद भी स्वास्थ्य प्रशासन सजग नहीं दिख रहा है। शनिवार को स्वास्थ्य अमला मरीजों का स्वास्थ्य परीक्षण करने नहीं पहुंचा। लोगों का कहना है कि सरकारी तंत्र के भरोसे रहते, तो अब तक कितने लोग काल के गाल में समा गए होते। वहीं, सरांय बकेवर गांव में सुरेंद्र कुमार पुत्र राजेंद्र शुक्ला को साधारण बुखार था। उसने मेडिकल स्टोर से दवा ली। तेज बुखार से हालत बिगड़ने पर शनिवार को परिजन कानपुर ले जाने लगे तो रास्ते में उसकी मौत हो गई। युवक के घर में पत्नी कंचन और छोटा भाई विकास बुखार से पीड़ित है। भाई विकास में डेंगू की पुष्टि हुई हैं, जिसका इलाज कानपुर के एक प्राइवेट अस्पताल में चल रहा है।
यह हालात बकेवर इलाके के आसपास के कई गांवों में बने हुए हैं। उसमें में ही रूसी गांव है। वहां करीब 300 घर हैं और दो हजार से अधिक की आबादी है। गांव के गौतम टोला में रामलली, सन्नो देवी, अन्नू सिंह, सुनीता सिंह, कांति देवी, नीलूदेवी, शिवानी, विपिन सिंह, अभिनव, सुमन, संतोषी समेत कई लोग तेज बुखार से पीड़ित हैं। अवस्थी टोला में श्रीकांत, पूर्णिमा, विपिन, अमन अवस्थी, रानी, संध्या, सुभी, धीरू, वीर, विनय भी तेज बुखार से जूझ रहे हैं। बुखार से पीड़ित देवमई स्वास्थ्य केंद्र पहुंचे, लेकिन डॉक्टरों से समुचित उपचार नहीं मिला। मरीजों को सही सलाह भी नहीं दी गई। इसके बाद मरीजों ने या तो झोलाछाप से इलाज कराया या फिर उपचार कराने कानपुर चले गए। गांव के अनिल सिंह ने बताया कि गांव के 20 से 25 लोग कानपुर से इलाज कराकर ठीक होकर आ चुके हैं। कुछ मरीजों की रिपोर्ट शुक्रवार को मिली थी, उनमें दोबारा संक्रमण पाया गया है। उनके परिवार के सभी लोग बुखार से पीड़ित थे। पहले वह प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र देवमई गए, लेकिन वहां की दवा से सुधार नहीं हुआ। मजबूरन भैसौली के झोलाछाप का सहारा लेना पड़ा। अब गांव के अधिकतर लोग भैसौली व देवमई के झोलाछाप से इलाज करा रहे हैं। गांव में कुछ जगह गंदगी, कुओं व नालियों में मच्छर पनप रहे हैं। दवा के छिड़काव की आवश्यकता है। अगर सरकारी तंत्र के भरोसे रहते, तो बीमारी अब तक विकराल रूप ले लेती।
इनसेट
कानपुर में चला उपचार
रूसी गांव के मुवनेश्वर की पत्नी शांति देवी एक सप्ताह से कानपुर में इलाज करा रही हैं। कोमल, रिया अवस्थी, गोमती, प्रदीप, प्रशांत, दीक्षा भी कानपुर के प्राइवेट अस्पताल में इलाज चल रहा है। दिनेश पांडेय के परिवार के सभी लोग बीमार थे, लेकिन कानपुर से इलाज कराकर ठीक होकर घर लौटे हैं। केवल उनकी मां निर्मला देवी अभी बीमार हैं। उनका उपचार अब देवमई का झोलाछाप कर रहा है।
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लापरवाही के कारण फैली बीमारी
बकेवर। एक माह पूर्व गांव में वायरल और टायफाइड का प्रकोप हुआ था। उसके बाद भी साफ-सफाई पर ध्यान नहीं दिया गया। स्वास्थ्य परीक्षण नहीं किया गया। इसका दुष्परिणाम बीमारी के रूप में सामने आ रहे हैं। प्रभारी डॉ. विमलेश कुमार ने बताया कि यह जानकारी मेरे संज्ञान में नहीं है। दवा छिड़काव के लिए प्रधान और आशा बहू के खाते में पैसा भेजा गया है। फिर से दोबारा छिड़काव कराया जाएगा। दिनेश पांडेय ने बताया कि प्रधान ने गांव में सफाई कराई है, लेकिन कहीं कहीं पर कूड़े के ढेर लगे हैं। जो कार्य पहले कराना चाहिए, उसे बाद में कराया जा रहा है। (संवाद)
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डेंगू किट के नाम पर लूट
डेंगू टेस्ट के लिए आरडीटीके (रैपिड डिजिटल टेस्ट किट) का इस्तेमाल किया जाता है। ये किट मेडिकल स्टोर से लेकर झोलाछाप समेत जिलेभर के कई बड़े संस्थान उपयोग में लाते हैं। इसकी प्रामाणिकता बहुत कम होती है। झोलाछाप व अन्य इसी किट को अपनाकर मरीजों को डेंगू का भय दिखाकर हजारों रुपये वसूलते हैं। जबकि सरकारी अस्पताल में ये किट एनएवी पुणे की विश्वसनीय है। अस्पतालों में पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है।
एलाइजा है परीक्षण की विश्वसनीयता
एलाइजा टेस्ट ही डेंगू की सही पहचान होती है। यह मशीन लखनऊ व प्रयागराज में उपलब्ध है। डीएमओ सुजाता ठाकुर ने बताया कि जिले में एलाइजा मशीन की डिमांड की गई है। मरीज सरकारी अस्पताल में टेस्ट कराएं। अस्पताल की किट की क्वालिटी बहुत बेहतर है।
महीनेभर के अभियान पर सवाल
संचारी रोग नियंत्रण अभियान एक जुलाई से 31 जुलाई के बीच चलाया गया। इसमें स्वास्थ्य के अलावा प्रशासन के कई विभागों को जोड़ा गया। लाखों की धनराशि खर्च की गई। इसके बाद भी संचारी रोग के बढ़ने से अभियान पर सवाल है।
जद्दूपुर में एंटी लार्वा का हुआ छिड़काव
अमौली। ब्लाक के जद्दूपुर में बुखार के कहर से बचाव के लिए घर घर सर्वे कर एंटी लारवा का छिड़काव हुआ। सुपरवाइजर मेधावी कीर्ति ने अपनी टीम के साथ गलियों में एंटी लारवा एवं 76 घरों में पैराथ्रम का स्प्रे किया। मलेरिया इंस्पेक्टर मनोज ने पांच घरों में गंदगी जलभराव को लेकर नोटिस जारी की। चिकित्सा अधीक्षक डॉ. पुष्कर कटियार ने गांव में घूम कर साफ-सफाई के लिए जागरूक किया। बुखार की रोकथाम के लिए शुक्रवार को सीएचसी की टीम ने कैंप कर 40 मरीजों का परीक्षण कर दवा का वितरण किया। (संवाद)
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कोट्स
झोलाछाप पर सख्त कार्रवाई की जाएगी। सरकार की मंशा अनुरूप स्वास्थ्य सेवाएं बेहतर करनी हैं। डॉक्टरों को मरीज से सरल व्यवहार करना चाहिए। मरीजों को अस्पताल से दवाएं और जांच की जाएं। शिकायत मिलने पर जांच कर कार्रवाई की जाएगी। संचारी रोगों में कमी आई है। शुक्रवार को ही टीम गई थी।
– डाॅ. अशोक कुमार, सीएमओ।