Electricity bill of gram panchayat not paid in Uttar Pradesh.

प्रतीकात्मक तस्वीर।
– फोटो : सोशल मीडिया

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उत्तर प्रदेश में ग्राम पंचायतों के बिजली बिल का बकाया पावर कॉर्पोरेशन के लिए नई चुनौती बन गया है। 1479.54 करोड़ रुपये बकाये का जल्द भुगतान न हुआ तो केंद्र से कॉर्पोरेशन को मिलने वाली सहायता रुक सकती है। इस प्रकरण को जल्द ही कैबिनेट के समक्ष रखकर समाधान की तैयारी है।

ग्रामीण क्षेत्रों के प्राथमिक व उच्च प्राथमिक विद्यालयों, आंगनबाड़ी केंद्रों, ग्राम पंचायत भवनों, सामुदायिक केंद्रों, सामुदायिक शौचालयों, ग्रामीण स्ट्रीट लाइट व पेयजल कनेक्शन के बिजली बिल का भुगतान ग्राम पंचायतों के स्तर से होना है। तमाम प्रयास के बावजूद ग्राम पंचायतों से बकाया भुगतान न के बराबर है। बढ़ते-बढ़ते बकाया 1479.54 करोड़ पहुंच गया है। बिजली कनेक्शन के सत्यापन का भी काम चल रहा है। सत्यापन के बाद बकाया राशि और बढ़ने की संभावना है।

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पावर कॉर्पोरेशन की चिंता

केंद्र सरकार रिवेम्ड डिस्ट्रीब्यूशन सेक्टर स्कीम के तहत राज्य सरकार को आर्थिक सहायता दे रही है। इस स्कीम के अंतर्गत वितरण क्षेत्र में बिजली फीडर से लेकर उपभोक्ता स्तर तक अनिवार्य स्मार्ट मीटरिंग व्यवस्था उपलब्ध कराना है। सरकार इस स्कीम से वर्ष 2024-25 तक राष्ट्रीय स्तर पर लाइन हानि को 12-15% तक कम करना चाहती है।

– स्कीम में एक शर्त है कि सरकारी विभागों में प्रीपेड मीटर स्थापित होने तक शहरी निकाय व ग्रामीण निकायों के बिजली बिलों के भुगतान के लिए राज्य एक केंद्रीयकृत व्यवस्था बनाएगा। बिजली बिल जारी होने के 30 दिन में भुगतान करना होगा।

– ऐसा न होने पर डिस्काम कुल बकाया राशि के भुगतान का बिल सरकार के वित्त विभाग को भेजेगा। पावर कॉर्पोरेशन के चेयरमैन एम. देवराज ने स्कीम की शर्तों का हवाला देते हुए शासन को बताया है कि यदि सभी ग्रामीण निकायों से समय से भुगतान नहीं मिलता है तो स्कीम के तहत केंद्र से सहायता मिलने में कठिनाई होगी। योजना की शर्तों के पालन की प्रतिबद्धता का अनुमोदन राज्य कैबिनेट ने ही दी है।

मुख्य सचिव ने कैबिनेट प्रस्ताव तैयार करने के दिए निर्देश

शासन के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि पावर कॉर्पोरेशन यह समस्या मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्र के समक्ष रख चुका है। मुख्य सचिव ने पंचायतीराज विभाग को निर्देश दिया है कि वह जिला पंचायत राज अधिकारियों के माध्यम से बकाया राशि का समय से भुगतान कराएं। नगर विकास विभाग की तरह पंचायतीराज विभाग से भुगतान का प्रस्ताव तैयार कराकर कैबिनेट के समक्ष रखा जाए।

नगर विकास विभाग की तर्ज पर भुगतान का प्रस्ताव

नगर विकास विभाग नगर निकायों का बकाया भुगतान केंद्रीयकृत रूप से पावर कॉर्पोरेशन को कर रहा है। बताया गया है कि राज्य वित्त व 15वें वित्त आयोग से ग्राम पंचायतों को करीब 15 हजार करोड़ रुपये वार्षिक मिलते हैं। पंचायतीराज विभाग को राज्य स्तर से इसी राशि से केंद्रीयकृत भुगतान की कार्यवाही करने का सुझाव दिया गया है।



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