
सीपीआर का प्रशिक्षण देते चिकित्सक।
– फोटो : संवाद न्यूज एजेंसी
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सीपीआर का प्रशिक्षण देते चिकित्सक।
– फोटो : संवाद न्यूज एजेंसी
कार्डियक अरेस्ट में तत्काल मुंह से दो बार सांस देने और 30 बार सीने की पंपिंग करने से मरीज की जान बचाई जा सकती है। चिकित्सकों ने बताया कि इससे 80 फीसदी की जान बच जाती है। एसएन मेडिकल कॉलेज के एनेस्थीसिया विभाग में दो दिवसीय कार्यशाला कर बेसिक लाइफ सपोर्ट (बीएलएस)और एडवांस कार्डियक लाइफ सपोर्ट (एएलएस) का प्रशिक्षण दिया गया।
कार्यशाला संयोजक डॉ. अपूर्व मित्तल ने बताया कि कार्डियक अरेस्ट होने पर शरीर में 5 मिनट तक ऑक्सीजन रहती है। दिमाग कार्य नहीं कर पाता है। अगर तत्काल कार्डियोपल्मोनरी रिससिटेशन (सीपीआर) प्रक्रिया अपनाते हुए ही मुंह से दो बार सांस देने के बाद 30 बार सीने की पंपिंग करनी चाहिए। ये प्रक्रिया 100 बार करने से दिमाग तक ऑक्सीजन पहुंचने से मरीज की सांस लौट आती है।