If a child is breathing more frequently than usual, they may be suffering from pneumonia.



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अमर उजाला ब्यूरो


झांसी। मौसम के तेजी से बदलने की वजह से नवजात व बच्चे वायरल संक्रमण की चपेट में आ रहे हैं। कोई जुकाम-खांसी, बुखार तो कोई निमोनिया की गिरफ्त में आ रहा है। निमोनिया के बारे में परिजनों को तब पता चलता है, जब तबीयत बिगड़ जाती है। बाल रोग विशेषज्ञों का कहना है कि खांसी के साथ सांस लेने की गति बढ़ना, पसलियों के पास गड्ढा दिखना निमोनिया के मुख्य लक्षण हैं। ऐसा दिखे तो तुरंत डॉक्टर को दिखाएं, इसमें देरी घातक हो सकती है।

मेडिकल कॉलेज के बाल रोग विभाग की डॉ. आराधना कनकने ने बताया कि ओपीडी में आने वाले अधिकांश बच्चों में वायरल का संक्रमण है। 40 फीसदी बच्चों को बुखार, खांसी-जुकाम आदि की समस्या हो रही है। कई ऐसे बच्चे आ रहे हैं, जिनको निमोनिया की शुरुआत है, तो कुछ निमोनिया की वजह से काफी बीमार हैं। डॉक्टर कनकने ने बताया कि अभिभावकों को देखना चाहिए कि यदि उनका बच्चा सामान्य से ज्यादा रफ्तार से सांस ले रहा है, जुकाम-खांसी लगातार बनी हुई है तो समझ लें कि बच्चे को निमोनिया है। ऐसा होने पर बच्चा मां का दूध पीना बंद कर देता है। बाल रोग विभाग में निमोनिया से ग्रस्त औसतन तीन बच्चों को चिंताजनक हालत में भर्ती किया जा रहा है।

0- एक मिनट में ऐसे पता कर सकते हैं निमोनिया

उम्र सांस की संख्या

दो माह से कम 50 बार

दो माह से 14 माह तक 40 बार

एक वर्ष से पांच वर्ष तक 35 बार

छह से 12 वर्ष तक 30 बार

नोट : यदि बच्चा इससे ज्यादा बार सांस ले रहा है, तो डॉक्टर को अवश्य दिखाएं। यह निमोनिया का अहम लक्षण है।

दस्त के भी शिकार हो रहे बच्चे : डॉ. आराधना ने बताया कि मौसम बदलने से बच्चों के पाचन पर भी विपरीत प्रभाव पड़ रहा है जिससे दस्त हो रहे हैं। ऐसी दशा में मां के दूध का सेवन कराते रहें ताकि बच्चे के शरीर में पानी की कमी न हो।



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