
Jagannath Rath yatra
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काशी की परंपरा, प्रथा और रस्में पूरी दुनिया में अनोखी हैं। यही कारण है कि यहां नाथों के नाथ भी बालसुलभ भाव से भक्तों को दर्शन देते हैं। भक्तों के प्रेम में स्नान करके बीमार पड़ते हैं और अज्ञातवास पर चले जाते हैं। भक्त भगवान के स्वास्थ्य लाभ के लिए काढ़े का भोग लगाते हैं और भगवान जब स्वस्थ हो जाते हैं तो भक्तों से मिलने के लिए काशी की गलियों में निकल पड़ते हैं।
भगवान जगन्नाथ काशी के इकलौते देवता हैं जो चार दिनों में तीन वाहनों की सवारी करते हैं। डोली में सवार होकर भक्तों को दर्शन देने आते हैं और जब विदाई की बेला होती है तो इन्हें कार में सवार होकर मंदिर परिसर जाते हैं।
काशी के पहले लक्खा मेले की परंपराएं 222 सालों से निभाई जा रही हैं। काशी के पहले लक्खा मेले रथयात्रा में भक्त मंगलवार तक भगवान जगन्नाथ, सुभद्रा और बलभद्र के दर्शन करेंगे। बीते शनिवार को भगवान सपरिवार डोली पर सवार होकर मंदिर के गर्भगृह से काशी की गलियों में निकले। 13 मोहल्लों से डोली गुजरी। इसके बाद रथ पर सवार हुए और तीन दिनों तक भक्तों को दर्शन देंगे। मंगलवार की देर रातद भक्तों से विदा लेकर भगवान कार में सवार होकर मंदिर में लौट जाएंगे।