– चुनावी रुझानों के बाद हार-जीत का आकलन शुरू, बसपा दिखी हर जगह लड़ाई में
संवाद न्यूज एजेंसी
उरई। नगर पालिका और नगर पंचायत के चुनावी समर पर विराम लग गया है। प्रत्याशियों की किस्मत मतपेटियों में कैद हो गई है। मतदान खत्म होने के बाद अब कयासों और हार-जीत की गणित का दौर शुरू हो गया है। प्रत्याशी और उनके समर्थक समीक्षा में जुट गए हैं कि कहां से उन्हें कितना वोट मिलने जा रहा है। उधर, मतदान के बाद आम मतदाता भी हार-जीत की समीक्षा में जुट गया है। पूरे दिन अलग-अलग निकायों में जिस तरह से मतदान की स्थिति रही। मतदान के रुझानों से हर सीट पर हाथी की कमल से सीधी लड़ाई दिखी। अब बाजी किसके हाथ लगेगी, यह मतगणना के बाद ही तय होगा।
वर्ष 2017 की स्थिति पर नजर डालें तो जिले की चार नगर पालिकाओं में कालपी में बसपा ने जीत हासिल की थी। जालौन में भाजपा को जीत मिली थी। कोंच में कांग्रेस जीती थी और उरई नगर पालिका में भाजपा के बागी को निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में जीत मिली थी। वर्तमान गणित में कालपी सीट बसपा मजूबत दिखाई दे रही है, उरई में भी सशक्त उपस्थिति दर्ज कराई है। यहां पर भाजपा और बसपा में सीधा मुकाबला है।
जालौन में कमल को निर्दलीय उम्मीदवार ने कड़ी टक्कर दी है। कोंच सीट पर सभी प्रमुख दल एक-दूसरे से भिड़ते दिखे। यहां चार कोणीय मुकाबला है। नगर पंचायतों में भाजपा को नुकसान की आशंका है। माधौगढ़, रामपुरा और कोटरा में भाजपा के अध्यक्ष थे। इस बार इन तीनों सीटों पर कड़ी टक्कर दिखी। माधौगढ़ सीट पर बसपा और निर्दलीय उम्मीदवार के बीच में मुकाबला माना जा रहा है। रामपुरा और कोटरा में भाजपा मुकाबले में तो मानी जा रही है, लेकिन स्थिति नरम-गरम ही है। कोटरा में कांग्रेस और भाजपा के बीच में मुकाबला है। यहां पर भाजपा का विरोधी वोट एकजुट होने से स्थितियां भाजपा के लिए सहज नहीं हैं। ऊमरी नगर पंचायत सीट पर सपा मजबूत दिखी और भाजपा मुकाबले में। नदीगांव सीट भाजपा के लिए सुरक्षित मानी जा रही है। कदौरा सीट बरकरार रखने में बसपा को कड़ी मेहनत करनी पड़ी है। यहां पर कांग्रेस, भाजपा और सपा के बीच मुकाबला दिख रहा है। कांग्रेस प्रत्याशी ने यहां मुकाबले को काफी रोचक बना दिया है।
बागी और गुटबाजी पड़ सकती भारी
भाजपा के लिए जिले में टिकट बंटवारा, बागी और गुटबाजी की चुनौती मतदान तक बरकरार रही। जिले में लगभग हर सीट पर भाजपा को विरोध इसका सामना करना पड़ा है। ऊमरी और कालपी के टिकट को लेकर तो पार्टी में खुलेआम सुर बुलंद हुए थे। एट और कोंच में भाजपा के बागी चुनाव में उतरे। कदौरा में भी भाजपा कार्यकर्ता ने निर्दलीय ताल ठोक दी। माधौगढ़ में भाजपा जातीय समीकरणों में उलझकर रह गई। माधौगढ़ में तो भाजपा का परंपरागत वैश्य वोट भी खिसकता दिखा। ठाकुर वोट निर्दलीय उम्मीदवार की झोली में जाता दिखा।
मुस्लिम वोट के रुख से तय होगी हार-जीत
कई सीटों पर मुस्लिम वोट निर्णायक माना जा रहा है। उरई नगर पालिका सीट पर यदि मुस्लिम वोटरों ने सपा प्रत्याशी की तरफ रुख किया होगा तो यहां पर भाजपा को फायदा मिल सकता है। इसी तरह एट में भी त्रिकोणीय मुकाबला होने से मुस्लिम वोटर निर्णायक माना जा रहा है। कोंच में चार कोणीय टक्कर से मुसलमान वोट जिसे मिलेगा वह जीत की तरफ रुख कर जाएगा। कोंच में एआईएमआईएम प्रत्याशी ने सबके समीकरण बिगाड़ दिए हैं। पिछले चुनाव में भी कोंच से उवैशी की पार्टी तीसरे नंबर पर रही थी। इस वजह से यहां से भाजपा को अपनी जीत के लिए और इंतजार करना पड़ सकता है।