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फोटो-2-रूरा अड्डू में इस भवन में संचालित होता था आयुर्वेदिक अस्पताल। स्रोत-विभाग। संवाद

फोटो-3- अब इस भवन में संचालित होगा आयुर्वेदिक अस्पताल। संवाद

फोटो-4-क्षेत्रीय आयुर्वेदिक एवं यूनानी अधिकारी डॉ. सत्येंद्र पटेल।

शशि शेखर दुबे (राहुल)

उरई (जालौन)। रूरा अड्डू स्थित आयुर्वेदिक अस्पताल अब अपने नए भवन में संचालित होगा। इसके अलावा जिले में संचालित अन्य आयुर्वेदिक अस्पताल के लिए भवन का निर्माण कराए जाएगा। शासन स्तर से प्रत्येक अस्पताल भवन निर्माण के लिए 29-29 लाख रुपये मंजूर किए गए हैं। नए भवनों के लिए जमीन की तलाश की जा रही है।

जिले में 41 राजकीय आयुर्वेदिक और दो राजकीय यूनानी अस्पताल संचालित हो रहे हैं। इसमें 28 अस्पताल तो सरकारी भवनों में संचालित हो रहे हैं लेकिन शेष अस्पताल दान के भवन, मंदिर परिसर में और सरकारी भवनों में संचालित हो रहे थे। कोंच नगर में आयुर्वेदिक अस्पताल पुरानी सीएचसी के भवन में चल रहा था तो तो एट का अस्पताल पुराने ब्लॉक परिसर में चल रहा है।

सिमिरिया और बरौदा कलां, अमीटा और टिमरों का अस्पताल पंचायत भवन में चल रहा था। जगम्मनपुर का आयुर्वेदिक और कदौरा का यूनानी अस्पताल भी किराये के भवन में संचालित हो रहा था। शासन के निर्देश पर इन अस्पतालों के लिए जमीन तलाशी की। जमीन मिलने पर सरकारी भवन बनाने की कवायद शुरू हो गई है। इसमें तीन कमरे, एक हॉल, एक बरामदा, दो शौचालय और 34 मीटर बाउंड्रीवाल बनाई जाएगी।

इन अस्पतालों को मिला निजी भवन

सैदनगर, मुहाना, बम्हौरी, बघौरा, मांडरी, भदेख, बंगरा, इटौरा और अंडा के राजकीय अस्पताल सरकारी भवन में शिफ्ट हो चुके हैं। जबकि मंगरौल का अस्पताल भी 90 फीसदी पूरा हो चुका है। यह अस्पताल जल्द अपनी बिल्डिंग में शिफ्ट हो जाएगा।

प्रदेश में पहला कार्यालय उरई में बनेगा

जिला मुख्यालय में जालौन बाईपास के पास सिद्धि विनायक अस्पताल के नजदीक क्षेत्रीय आयुर्वेदिक एवं यूनानी अधिकारी कार्यालय भवन बनाया जाएगा। इसके लिए 19 हजार वर्गमीटर जगह चिह्नित कर ली गई है। जिला प्रशासन स्तर से सभी कागजी कार्यवाही पूरी करते हुए फाइल आयुर्वेदिक निदेशालय को भेजी गई है। जिस पर जल्द स्वीकृति मिलने की संभावना है। खास बात यह है कि यह कार्यालय प्रदेश में पहला ऐसा कार्यालय होगा, जिसकी निजी भवन होगा।

स्टाफ की कमी से जूझ रहे चिकित्सालय

जिले में 41 राजकीय आयुर्वेदिक और दो यूनानी चिकित्सालय संचालित हो रहे हैं। इसके लिए 46 चिकित्सक और 46 फार्मासिस्ट की आवश्यकता है। इसके सापेक्ष 28 चिकित्सक और 20 फार्मासिस्ट ही कार्यरत है। नर्स के नौ पदों के सापेक्ष छह ही काम कर रही है। चतुर्थ श्रेणी के 95 पदों में 60 पद रिक्त है और 35 ही कार्यरत है। जिसकी वजह से काम करने में दिक्कत होती है। सबसे ज्यादा दिक्कत तब होती है, जब कोई चिकित्सक या फार्मासिस्ट छुट्टी पर चला जाता है।

पिछले डेढ़ साल में कई अस्पतालों को निजी बिल्डिंग से सरकारी भवन में शिफ्ट कर दिया गया है। नौ और भवनों को सरकारी भवनों में शिफ्ट करने की तैयारी चल रही है। रिक्त पदों के बारे में सूचनाएं शासन को भेजी जाती है। जैसे ही रिक्त पद भरे जाएंगे। लोगों को बेहतर सेवाएं दी जाएगी। फिलहाल जो संसाधन है, उसी के अनुसार काम किया जा रहा है।-डॉ.सत्येंद्र पटेल, क्षेत्रीय आयुर्वेदिक एवं यूनानी अधिकारी, जालौन



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