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(उरईजालौन) उरई: जालौन की औद्योगिक पहचान खतरे में — हिंदुस्तान यूनिलीवर फैक्ट्री बंद, 700 परिवारों पर रोज़ी-रोटी का संकट उरई,

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जालौन जिले का यह छोटा-सा शहर,
कभी हिंदुस्तान यूनिलीवर लिमिटेड की फैक्ट्री से पहचाना जाता था। यूनिलीवर एक ब्रिटिश बहुराष्ट्रीय उपभोक्ता उत्पाद कंपनी है, जिसका मुख्यालय लंदन में है । और यह व्यक्तिगत देखभाल, घरेलू देखभाल और सौंदर्य एवं कल्याण जैसे क्षेत्रों में उत्पादों का निर्माण करती है।यूनिलीवर पीएलसी एक ब्रिटिश बहुराष्ट्रीय उपभोक्ता पैकेज्ड सामान कंपनी है जिसका मुख्यालय लंदन, इंग्लैंड में है। इसकी स्थापना 2 सितंबर 1929 को डच के विलय के बाद हुई थी। भारत में इसे हिंदुस्तान यूनिलीवर लिमिटेड (HUL) के नाम से जाना जाता है, जो भारत की सबसे बड़ी एफएमसीजी कंपनियों में से एक है।
यूनिलीवर और हिंदुस्तान यूनिलीवर लिमिटेड (HUL)
यूनिलीवर: यह एक ब्रिटिश बहुराष्ट्रीय कंपनी है जो वैश्विक स्तर पर विभिन्न उपभोक्ता उत्पादों का निर्माण करती है।
हिंदुस्तान यूनिलीवर लिमिटेड (HUL): यह ब्रिटिश कंपनी यूनिलीवर का भारतीय प्रभाग है, जिसका भारत में मुख्यालय मुंबई में है। HUL भारत के हर घर में अपनी उपस्थिति दर्ज कराता है और इसने कई प्रसिद्ध ब्रांडों जैसे लक्स, लाइफबॉय, सर्फ एक्सेल, लैक्मे और हॉर्लिक्स को स्थापित किया है।
उत्पाद और ब्रांड
यूनिलीवर के पोर्टफोलियो में व्यक्तिगत देखभाल, घरेलू देखभाल, सौंदर्य और कल्याण, न्यूट्रिशन और आइसक्रीम जैसे उत्पादों की एक विशाल श्रृंखला शामिल है। कुछ प्रमुख ब्रांड हैं:
व्यक्तिगत और घरेलू देखभाल: लक्स, लाइफबॉय, डव, लक्मे, पॉन्ड्स, वैसलीन।
सर्फ और क्लीनर: सर्फ एक्सेल, व्हील।
खाद्य और पेय पदार्थ: हॉर्लिक्स, किसान जैम, नॉर।
इतिहास और विकास
लीवर ब्रदर्स नाम से शुरू हुई कंपनी ने 1888 में भारत में प्रवेश किया और सनलाइट साबुन लॉन्च किया।
1956 में, लिवर ब्रदर्स और हिंदुस्तान वनस्पति के विलय से हिंदुस्तान लीवर लिमिटेड (बाद में HUL) का गठन हुआ।
HUL ने भारत में एक विशाल वितरण नेटवर्क बनाया, जिससे इसके उत्पाद हर दुकान और घर तक पहुँच सके।
HUL ने बदलते भारतीय उपभोक्ताओं की जरूरतों को पूरा करने के लिए रणनीतिक रूप से कई ब्रांडों का अधिग्रहण किया है और उन्हें बाजार में लीडर बनाया है।
भारत में HUL की भूमिका
HUL भारतीय फास्ट-मूविंग कंज्यूमर गुड्स (FMCG) बाजार में एक प्रमुख खिलाड़ी है।
यह देश के लगभग हर घर में अपनी उपस्थिति रखता है, जो सुबह उठने से लेकर रात सोने तक के अपने उत्पादों के माध्यम से उपभोक्ताओं की जीवनशैली का एक अभिन्न अंग बन गया है।
1989 में शुरू हुई इस डिटर्जेंट इकाई ने तीन दशक तक
सैकड़ों परिवारों को रोजगार दिया और जिले की अर्थव्यवस्था को सहारा दिया।
लेकिन अप्रैल 2025 से अचानक उत्पादन बंद कर दिया गया।
कंपनी ने इसे “अस्थायी रोक” बताया,
जबकि कर्मचारियों का आरोप है कि यह सुनियोजित छंटनी थी।
700 से अधिक कर्मचारी बेरोजगार हो चुके हैं,
फैक्ट्री गेट पर अब सन्नाटा पसरा है।
कई परिवार आर्थिक संकट से जूझ रहे हैं,
और स्थानीय संगठन फैक्ट्री को दोबारा शुरू कराने की मांग कर रहे हैं।
इस बीच, राजनीतिक दलों ने भी फैक्ट्री की बंदी को मुद्दा बनाया है —
कांग्रेस, समाजवादी पार्टी और जन संघर्ष मोर्चा ने प्रदर्शन किए,
जबकि प्रशासन और कंपनी के बीच जवाबदेही का सिलसिला जारी है।
लोगों का कहना है —
“यह सिर्फ नौकरी नहीं गई, हमारी उम्मीदें चली गईं।”
अब सवाल यह है कि
क्या सरकार और कंपनी मिलकर इस संघर्ष का समाधान देंगे,
या फिर जालौन की यह औद्योगिक पहचान इतिहास बन जाएगीउरई। हिंदुस्तान यूनिलीवर की फैक्टरी बंद करने का मामला बुधवार को फिर गरमा गया। फैक्टरी के 50 से ज्यादा कर्मचारियों ने डीएम को ज्ञापन देकर मदद की गुहार लगाई है। कर्मचारियों का कहना है कि फैक्टरी को बंद किया जा रहा है। कर्मचारियों को बचा लीजिए। वहीं, डीएम ने एडीएम को जांच कर रिपोर्ट देने के लिए कहा है।हिंदुस्तान यूनिलीवर के कर्मचारियों ने डीएम राजेश कुमार पांडेय को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को संबोधित ज्ञापन दिया है। इसमें लिखा है कि वह लोग इतने दिनों तक कंपनी के अधिकारियों की धमकी की वजह से चुप रहे। अब तो मशीनों को बाहर भेजा जा रहा है। अगर अब नहीं बोलेंगे तो हमारे परिवार तबाह हो जाएंगे।
कर्मचारियों ने आरोप लगाया कि फैक्टरी के प्रबंधन ने यूनियन की सांठगांठ से कर्मचारियों के साथ धोखाधड़ी की है। वर्ष 1989 में शहर के कालपी रोड स्थित फैक्टरी एरिया में तत्कालीन मुख्यमंत्री एनडी तिवारी के शासन काल में हिंदुस्तान यूनिलीवर की फैक्टरी लगाई गई थी। कंपनी अभी तक मुनाफा देती रही और समय-समय पर सरकारी सब्सिडी का लाभ भी लेती रही।हिंदुस्तान यूनिलीवर के कर्मचारियों ने डीएम राजेश कुमार पांडेय को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को संबोधित ज्ञापन दिया है। इसमें लिखा है कि वह लोग इतने दिनों तक कंपनी के अधिकारियों की धमकी की वजह से चुप रहे। अब तो मशीनों को बाहर भेजा जा रहा है। अगर अब नहीं बोलेंगे तो हमारे परिवार तबाह हो जाएंगे।
कर्मचारियों ने आरोप लगाया कि फैक्टरी के प्रबंधन ने यूनियन की सांठगांठ से कर्मचारियों के साथ धोखाधड़ी की है। वर्ष 1989 में शहर के कालपी रोड स्थित फैक्टरी एरिया में तत्कालीन मुख्यमंत्री एनडी तिवारी के शासन काल में हिंदुस्तान यूनिलीवर की फैक्टरी लगाई गई थी। कंपनी अभी तक मुनाफा देती रही और समय-समय पर सरकारी सब्सिडी का लाभ भी लेती रहीकर्मचारियों ने बताया कि मार्च 2025 तक फैक्टरी में उत्पादन होता रहा और कर्मचारियों को वेतन मिलता रहा। अप्रैल में कंपनी के कार्मिक प्रबंधक जसवीर सिंह, भरत चौधरी, उत्पल आनंद ने सूचना दी कि अब उरई फैक्टरी के लिए उत्पादन मिलना संभव नहीं है। साथ ही बोर्ड पर नोटिस लगाया गया कि फैक्टरी के मैनेजर जीडी पाटिल ने निर्णय लिया है कि कुछ कर्मचारियों को अन्य प्रदेशों की नासिक, छिंदवाड़ा, खामगांव, कोलकाता आदि यूनिट में स्थानांतरित किया जाएगा।
फैक्टरी के कर्मचारियों ने आरोप लगाया कि कंपनी ने कर्मचारियों को आसपास जैसे सुमेरपुर, एटा, हरिद्वार, राजपुरा, जैसे बड़े कारखानों में स्थानांतरण नहीं किया। इससे कंपनी की मंशा जाहिर होती है। उनका आरोप है कि कंपनी कर्मचारियों के स्थानांतरण के नाम पर छंटनी करके निष्कासित करना चाहती है। कर्मचारियों ने बताया कि जब उन्होंने प्रबंधन व यूनियन से बात की तो उन्होंने प्रलोभन दिया और अपने पक्ष में समझौता करने के लिए तैयार कर लिया। कर्मचारियों का आरोप है कि प्रबंधन ने कुछ लोगों को आसपास की फैक्टरियों में बाद में लाने का भी प्रलोभन दिया हैवही, कुछ कर्मचारियों ने नासिक, कोलकाता के लिए भी आवेदन किया था, लेकिन इसे प्रबंधन ने स्वीकार नहीं किया। कर्मचारियों ने कहा कि 30 से 35 वर्षों तक काम करके उन्होंने कंपनी को ऊंचाइयों तक पहुंचाया है, इसलिए फैक्टरी को आसानी से बंद नहीं होने देंगे। कंपनी के अधिकारी फैक्टरी के चालू होने की बात कह रहे हैं, जबकि उत्पादन बंद हुए एक माह से अधिक का समय हो गया है। उन्होंने मांग की कि यदि फैक्टरी को बंद करना है तो सभी कर्मचारियों को जून माह से पूरी सेवाकाल तक पूरा वेतन दिया जाए। साथ ही हर माह भविष्य निधि का हिस्सा भी उनके खाते में जमा किया जाए।जालौन में हिंदुस्तान यूनिलीवर (HUL) के कर्मचारियों ने कंपनी द्वारा एक फैक्टरी बंद करने की चेतावनी के बाद जिलाधिकारी से गुहार लगाई है, जिसमें उन्होंने अपनी नौकरी बचाने की अपील की है। कर्मचारी चिंतित हैं कि फैक्ट्री बंद होने से उनकी रोजी-रोटी चली जाएगी और वे इस स्थिति से निकलने में मदद की मांग कर रहे हैं।
विस्तार से:
क्या हुआ: हिंदुस्तान यूनिलीवर के कर्मचारी जालौन में अपनी फैक्ट्री बंद होने की आशंका से डरे हुए हैं और उन्होंने डीएम से मदद मांगी है।
क्यों हुआ: फैक्ट्री बंद करने के निर्णय के पीछे के कारणों के बारे में सीधे तौर पर कोई जानकारी नहीं है, लेकिन यह संभव है कि यह कंपनी के व्यापक पुनर्गठन या वित्तीय कारणों से जुड़ा हो।
कर्मचारियों की मांग: कर्मचारियों ने जिलाधिकारी से हस्तक्षेप करने और फैक्ट्री बंद होने से रोकने या वैकल्पिक समाधान खोजने की गुहार लगाई है ताकि उनकी नौकरी सुरक्षित रहे।
अतिरिक्त जानकारी: यूनिलीवर ने वैश्विक स्तर पर नौकरियों में कटौती की है और अपनी आइसक्रीम शाखा को अलग करने की योजना बनाई है।
आगे क्या हो सकता है:
जिलाधिकारी कर्मचारियों की बात सुनेंगे और कंपनी प्रबंधन से बात करके मामले को समझने का प्रयास करेंगे।
यदि फैक्ट्री बंद करने का निर्णय अंतिम है, तो यूनिलीवर को कर्मचारियों के लिए विस्थापन और वैकल्पिक रोज़गार की व्यवस्था करनी होगी।
यह देखना होगा कि प्रशासन और कंपनी प्रबंधन मिलकर इस समस्या का कैसा समाधान निकालते हैं।

By Parvat Singh Badal (Bureau Chief Jalaun)✍️

A2Z NEWS UP Parvat singh badal (Bureau Chief) Jalaun ✍🏻 खबर वहीं जों सत्य हो

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