
झांसी मेडिकल कॉलेज हादसा।
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महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज झांसी सहित प्रदेश के दर्जनभर से ज्यादा मेडिकल कॉलेज कार्यवाहक प्रधानाचार्य के भरोसे चल रहे हैं। स्थिति यह है कि प्रधानाचार्यों व संकाय सदस्यों के खाली पदों को लेकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी नाराजगी जता चुके हैं। एक तरफ प्रधानाचार्य के पद पर कार्यवाहक तैनात किया गया है तो दूसरी तरफ आयोग से चयनित दो प्रधानाचार्यों को चिकित्सा शिक्षा एवं प्रशिक्षण महानिदेशालय (डीजीएमई) से संबद्ध कर रखा गया है।
चिकित्सा शिक्षा विभाग के राजकीय मेडिकल कॉलेजों में प्रधानाचार्य की तैनाती लोक सेवा आयोग से की जाती है, जबकि राज्य स्वशासी मेडिकल कॉलेजों में प्रधानाचार्य की नियुक्ति डीजीएमई की निगरानी में गठित कमेटी करती है। प्रदेश के 13 राजकीय मेडिकल कॉलेजों में जीएसवीएम कॉलेज कानपुर में डा. संजय काला, मेरठ में डा. आरसी गुप्ता, सहारनपुर में डा. सुधीर राठी और जालौन में अरविंद कार्यरत हैं। आयोग से चयनित प्रधानाचार्य डा. मुकेश यादव और डा. एनसी प्रजापति को डीजीएमई मुख्यालय से संबद्ध कर दिया गया है।
झांसी, बांदा, आजमगढ़, बदायूं, गोरखपुर, प्रयागराज, आगरा, कन्नौज, अंबेडकरनगर में कार्यवाहक प्रधानाचार्य कार्य कर रहे हैं। झांसी में करीब चार साल से कार्यवाहक प्रधानाचार्य के रूप में डा. एनएस सेंगर कार्यरत हैं। इसी तरह पिछले दिनों प्रदेश फिरोजाबाद, हरदोई, एटा, प्रतापगढ़, मिर्जापुर, औरैया, लखीमपुर खीरी, ललितपुर और जौनपुर स्थित स्वशासी राज्य चिकित्सा महाविद्यालयों के प्रधानाचार्य के लिए भर्ती प्रक्रिया शुरू की गई।
छह प्रधानाचार्यों का चयन किया गया, जिसमें औरैया, फिरोजाबाद, मिर्जापुरऔर हरदोई में प्रधानाचार्य की नियुक्ति कर दी गई है। अन्य पांच कॉलेज अभी भी कार्यवाहक के सहारे हैं। इसका सीधा असर कॉलेज की व्यवस्थाओं पर पड़ना लाजिमी है। चिकित्सा शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव पार्थ सारथी सेन शर्मा का कहना है कि राजकीय कॉलेजों के लिए आयोग में अभियाचन भेजा गया है। अन्य कॉलेजों में भर्ती प्रक्रिया चल रही है।