झांसी। कहते हैं एक अकेली महिला घर-परिवार, बच्चे, नाते-रिश्तेदार और घर के बाहर भी सारी जिम्मेदारियां आसानी से निभा लेती है। वह जिंदगी की हजारों परेशानियाें का हल हंसते-हंसते चुटकियों में निकाल लेती है। महिलाओं का ऐसा ही रूप इन दिनों शहर के उन वार्डों में देखने को मिल रहा है, जहां से महिला प्रत्याशी नगर निकाय चुनाव में बतौर पार्षद मैदान में उतरी हैं। कुशल गृहिणी और घर के बड़ों के सामने घूंघट करने वालीं ये महिलाएं यूं तो पहले कभी चूल्हे-चौके से बाहर नहीं निकलीं, लेकिन चुनाव मैदान में प्रचार के दौरान इनकी रणनीति किसी नेता से कम नहीं है। ये अपने दुधमुंहे बच्चे को गोद में लेकर चुनाव प्रचार भी कर रही हैं और सुबह पांच बजे उठकर परिवार के लिए रोज की तरह रसोई भी बना रही हैं। इनका कहना है कि गृहिणी सिर्फ अपना परिवार ही नहीं, राजनीति भी बखूबी संभाल सकती है।

तीन साल का बेटा और प्रचार, फटाफट निपटाती हूं काम : ज्योति कुशवाहा

झांसी। शादी के बाद 16 साल तक गृहिणी बनकर रहने वाली वार्ड 39 इमलीपुर की निर्दलीय महिला उम्मीदवार ज्योति कुशवाहा अब चुनाव मैदान में उतरी हैं। हर रोज सुबह पांच बजे उठकर घर की साफ-सफाई के बाद वह दो बेटियों और पति का नाश्ता बनाती हैं। बच्चों को स्कूल भेजना, फिर सास और जेठानी के साथ मिलकर घर का पूरा काम निपटाना और फिर चुनाव प्रचार में जुटना इन दिनों ज्योति की जिंदगी का अहम हिस्सा है। इस दौरान ज्योति को अपने तीन साल के बेटे रुद्र को भी संभालना पड़ता है। ज्योति बताती हैं कि अक्सर बेटे को साथ ले जाना पड़ता है। बेटा भीड़ देखकर परेशान होता है लेकिन, पति मंगल सिंह और जेठ हरीशंकर बच्चे को संभाल लेते हैं। वहीं, शाम को चुनाव प्रचार के बाद घर लौटी ज्योति अपनी जेठानी गीता के साथ फटाफट पूरे परिवार के लिए खाना भी बनाकर रात तक सारे काम निपटाती हैं। उधर, इनकी 75 साल की बुुजुर्ग सास मुन्नी देवी भी प्रचार के लिए सबके साथ जा रही हैं। ज्योति के पति शटरिंग का काम करते हैं।

संयुक्त परिवार का साथ, बीमार सास की भी जिम्मेदारी : आराधना शर्मा

झांसी। दस लोगों के संयुक्त परिवार की बड़ी बहू आराधना शर्मा वार्ड 58 मोहल्ला टकसाल से निर्दलीय चुनाव लड़ रही हैं। इनके परिवार में कोई बहू पहली बार चुनाव मैदान में उतरी है। एलएलबी कर चुकीं आराधना के घर में सास शकुंतला शर्मा पैरालिसिस की शिकार होने के कारण दो साल से बिस्तर पर हैं। इसके अलावा 82 साल के बुजुर्ग ससुर मनमोहन शर्मा की देखभाल की जिम्मेदारी भी आराधना और उनकी देवरानी सुषमा पर ही है। सुबह छह बजे उठकर घर के काम निपटाने के बाद वह पति राजीव शर्मा, बेटे अग्रिम और देवर राजेश शर्मा के साथ वह चुनाव प्रचार करने निकल रही हैं। दोपहर में परिवार के साथ खाना-पीना तैयार करती हैं। इसके बाद बीमार सास-ससुर को खाना खिलाना और बाकी काम निपटाकर शाम को फिर से प्रचार के लिए निकलती हैं। शाम को घर लौटने के बाद सभी का खाना तैयार करना, खिलाना और फिर सुबह की तैयारी करना इन दिनों इनका रूटीन बन गया है। अनुराधा बताती हैं कि संयुक्त परिवार के सहयोग से ही वह अपनी जिम्मेदारी निभा पा रही हैं।

तीन माह की बेटी और घर की रसोई, हर काम जरूरी : मोनिका गुप्ता

झांसी। तीन माह और छह साल की बेटी की मां मास्टर कॉलोनी की बहू मोनिका गुप्ता वार्ड 50 से चुनाव मैदान में हैं। एमए तक पढ़ी मोनिका बताती हैं कि रोज 5 बजे उठकर वह अपने हाथ से पूरे घर की साफ-सफाई निपटाकर नहाने के बाद रसोई संभालती हैं। बेटी को स्कूल भेजना और सभी के लिए नाश्ता बनाकर वह सुबह चुनाव प्रचार के लिए निकलती हैं। लेकिन कई बार छोटी बेटी दूध के लिए रोती है तो प्रचार से लौटना पड़ता है। ऐसे में रिटायर्ड ससुर गोपाल दास, सास सुमनलता और देवर दीपक के अलावा पति विकास गुप्ता ने उन्हें सहयोग दिया। सास अब बच्ची को संभालती हैं। कई बार बेटी परेशान करती है तो पति या देवर बेटी को प्रचार के दौरान गोद में ले जाते हैं। मोनिका बताती हैं कि शाम को प्रचार पर जाने से पहले पूरा परिवार एक बार साथ बैठकर अगले दिन का प्लान तैयार करते हैं। मोनिका का कहना है कि एक गृहिणी भले ही नौकरी करे या चुनाव मैदान में उतरे, उसका परिवार और बच्चे उसकी जिंदगी हिस्सा हमेशा रहते हैं। मोनिका भाजपा प्रत्याशी हैं।

पांच महीने का बेटा भी ले जाती हूं प्रचार में : संध्या वर्मा

झांसी। पांच महीने के बेटे की मां संध्या वर्मा वार्ड 31 आईटीआई से चुनाव लड़ रही हैं। इनके पति संजय वर्मा प्राइवेट नौकरी कर रहे हैं। परिवार में रिटायर्ड ससुर, छोटा भाई सुनील और देवरानी पूजा है। यूं तो देवरानी की गोद में भी सात महीने की बेटी है। लेकिन, अपनी जेठानी के चुनाव प्रचार में उन्होंने कोई कसर नहीं छोड़ी है। संध्या बताती हैं कि सुबह चार-बजे उठकर वह दोनों फटाफट घर के काम निपटाती हैं। चुनाव प्रचार पर जाने तक दोनों छोटे बच्चे उठ जाते हैं और बहुत रोते हैं, ऐसे में वह अपना बेटा और देवरानी अपनी बेटी को गोद में लेकर चुनाव प्रचार करने जाते हैं। कई बार ससुर दोनों बच्चों को संभालते हैं, ऐसे में कई बार बच्चे को दूध पिलाने के लिए घर लौटना पड़ता है। दिन में प्रचार के दौरान बच्चों को धूप न लगे इसके लिए अलग से बोतल में पानी और टोपी आदि सामान भी साथ ले जाते हैं। संध्या की हिम्मत देखकर इनके मोहल्ले की महिलाएं भी इन्हें प्रचार में पूरा सहयोग दे रही हैं। कई बार पड़ोसी भी बच्चों को संभालते हैं। पोस्ट ग्रेजुएट ज्योति बसपा से प्रत्याशी हैं।

18 सदस्यों के परिवार की हूं बहू : रोशनी शर्मा

झांसी। वार्ड 31 आईटीआई सिद्धेश्वर नगर से चुनाव लड़ने वाली रोशनी शर्मा 18 सदस्यों के परिवार की बहू हैं। सुबह पांच बजे से उठकर घर गृहस्थी के काम निपटाना और इसके बाद बच्चों को स्कूल-कॉलेज भेजना इनका रोज का काम है। चुनाव प्रचार के लिए इन्हें अपनी इसी दिनचर्या के बीच ही समय निकालना पड़ रहा है। आठवीं पास रोशनी बताती हैं कि वह बांदा की रहने वाली हैं। पढ़ने-लिखने का ज्यादा मौका नहीं मिला लेकिन वह अपने बच्चों को खूब पढ़ाना चाहती हैं। रोशनी बताती हैं कि घर में सास ऊषा देवी, ससुर मनोहर लाल, देवर सतेंद्र, देवरानी किरन, जेठ विनोद शर्मा, जेठानी बबली शर्मा के अलावा बच्चों के देखभाल सभी मिलकर करते हैं। उन्हें कांग्रेस से लड़ने का मौका मिला तो परिवार ने उन्हें हौसला दिया। रोशनी बताती हैं कि एक महिला के लिए परिवार का सहयोग बहुत जरूरी है। उन्होंने बताया कि तबीयत ठीक न होने के बाद भी वह घर-परिवार और चुनाव की जिम्मेदारी निभा रही हैं। पति राजू शर्मा पत्नी का पूरा सहयोग कर रहे हैं।



Source link

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *