झांसी। समीर की मौत के बाद से पूरा परिवार रोते-रोते बदहवास हो गया। आस-पड़ोस के सैकड़ों लोग भी जुट गए। मां ऊषा के साथ पिता जगजीवन का रो-रोकर बुरा हाल हो गया। उन दोनों को बेटे की मौत का सदमा इस कदर लगा कि उनको संभालना मुश्किल हुआ जा रहा था। पिता जगजीवन बिखलते हुए बार-बार कह रहे थे, सिम्मी (समीर) ने पंद्रह मिनट पहले ही तो चाय बनाकर पिलाई थी। इसके बाद ऐसा क्यूं कर डाला। कोई परेशानी थी, तो मुझको बताता। ऐसा करके जिदंगी भर बाप को कसक दे गया। बेटे की मौत पर बिखलते बाप को देखकर वहां मौजूद हर आदमी का कलेजा पसीज गया।
परिजनों का कहना है कि रिजल्ट आने की वजह से समीर पूरे दिन घर से बाहर नहीं निकला। घर में देखकर पिता जगजीवन ने उसे बाहर घूम आने को कहा लेकिन, वह बाहर नहीं निकला। दोपहर में उसने अपने हाथ से चाय बनाई। घर में उस समय सिर्फ उसके पापा जगजीवन ही थे। चाय बनाकर उसने पापा को पिलाई और खुद कमरे में टहलने लगा। उसी दौरान जगजीवन को उसके रिजल्ट की बात याद आई। उनके पूछने पर समीर ने सर्वर न आने की बात कहकर उनको टाल दिया लेकिन, तब तक उसे खुद के फेल होने की बात मालूम चल चुकी थी। उसने उसी समय मध्य प्रदेश में रहने वाले अपने दोस्त पीयूष सिंह को फोन किया लेकिन, उससे अपने फेल होने की बात नहीं बताई। कुछ ही देर बाद कमरे को अंदर से बंद करके फंदे से झूल गया। समीर के आत्महत्या करने की बात जैसे ही उसके दोस्तों को पता चली वह भी उसके घर पहुंच गए। उसके दोस्तों का कहना था कि समीर पढ़ाई में खराब नहीं था।
पिछले साल भी फेल होने से मानसिक तौर से परेशान था
समीर पिछले वर्ष भी इंटर में फेल हो चुका था। पिछले वर्ष उसने ज्ञान स्थलीय इंटर कॉलेज से परीक्षा दी थी लेकिन, दो विषयों में वह फेल हो गया था। इसके बाद इस वर्ष उसने कुलदीप सरस्वती इंटर कॉलेज में प्रवेश लेकर दोबारा यहां से परीक्षा दी थी। पिता जगजीवन बिजली कारीगर हैं जबकि बड़ा भाई आशू आईटीआई में पढ़ता है।