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संवाद न्यूज एजेंसी

झांसी। सरकार शिक्षा का स्तर सुधारने के लिए तमाम कवायदें कर रही है। बच्चों को मध्याह्न भोजन, नि:शुल्क ड्रेस, जूते-मोजे और किताबें मुहैया कराई जा रही हैं, लेकिन जिले में तमाम शिक्षक ऐसे हैं, जो घर बैठे मोटी पगार ले रहे हैं। इन्होंने सालाें से अपने विद्यालय की शक्ल तक नहीं देखी है। विभागीय अफसरों को दिसंबर 2022 से मार्च 2023 तक हुए निरीक्षणों में जिले में 225 शिक्षक लगातार अनुपस्थित मिले थे। इनमें सबसे ज्यादा शिक्षक वे थे, जो सालाें से स्कूल नहीं आए हैं। विभाग ने इन्हें कई बार नोटिस भी दिया, लेकिन वे स्कूल आने को तैयार नहीं हैं।

केस 1: दो साल से स्कूल नहीं आई शिक्षिका

बबीना ब्लॉक में नियुक्त शिक्षिका प्रतिष्ठा भास्कर दो साल स्कूल से अनुपस्थित चल रही हैं। लेकिन खंड शिक्षा अधिकारी को इसकी भनक भी नहीं लगी। दिसंबर में शिकायत के बाद एबीएसए ने निरीक्षण किया। जिसके बाद शिक्षिका का वेतन अवरुद्ध किया गया। लेकिन उसके बाद कोई अग्रिम कार्रवाई आज तक नहीं हुई। बीएसए ने बताया कि उन्हें इस पूरे मामले के बारे में नहीं बताया गया था।

केस 2: चार साल से गायब शिक्षिका को दिया नोटिस

बबीना ब्लॉक में तैनात शिक्षिका रिचा लिटौरिया चार साल से स्कूल नहीं गई हैं। एडी बेसिक ने निरीक्षण के दौरान शिक्षिका के गायब मिलने पर सेवा समाप्त करने की संस्तुति की थी, बावजूद बीएसए ने आदेश को गंभीरता से नहीं लिया। पिछले चार माह से शिक्षिका के पते पर कारण बताओ नोटिस भेजा जा रहा है। लेकिन वे आज तक नहीं आईं।

केस 3: पहले सीसीएल, मेडिकल और फिर अवैतनिक अवकाश पर

ब्लॉक मोंठ के प्राथमिक विद्यालय की शिक्षिका रश्मि गुप्ता पिछले दो साल से अवैतनिक अवकाश पर हैं। यह भी पिछले साल जुलाई में समाप्त हो चुका है, बावजूद शिक्षिका स्कूल नहीं पहुंची। कभी बाल्य देखभाल अवकाश, कभी चिकित्सीय अवकाश, कभी आकस्मिक अवकाश के नाम पर सालों से छुट्टी पर हैं। विभाग ने शिक्षिका को नोटिस भेजा, लेकिन फिर भी वे स्कूल नहीं पहुंचीं। एडी बेसिक ने शिक्षिका की सेवा समाप्ति की संस्तुति की, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई।

केस 4: व्यापारी बन गए मास्टर साहब, पढ़ाना भूले

बंगरा ब्लॉक के शिक्षक दीपक सोनी स्कूल छोड़कर व्यापार करने में व्यस्त हैं। निरीक्षण के दौरान अनुपस्थित मिलने पर शिक्षक को अंतिम चेतावनी देकर छोड़ दिया जाता है। बार-बार अनुपस्थित होने के बाद भी शिक्षक पर कोई कार्रवाई नहीं हुई है। एक बार बीएसए और एक बार एडी बेसिक को भी निरीक्षण के दौरान शिक्षक अनुपस्थित मिल चुके हैं।

सांठ-गांठ से चल रहा शिक्षकों की अनुपस्थिति का खेल

परिषदीय स्कूलों के कई शिक्षक अधिकारियों के साथ सांठ-गांठ कर महीनों गायब रहते हैं। कई बड़े व्यापारी, नेता, डॉक्टर, न्यायाधीश, विभिन्न पदों पर तैनात अधिकारी और शिक्षा विभाग में काम कर रहे कर्मचारी की पत्नी या परिवारजन स्कूल नहीं जाते हैं। निरीक्षण के दौरान इनकी अनुपस्थिति दर्ज ही नहीं की जाती है और न ही इनका वेतन रोका जाता है। खुद को शिक्षक नेता बताने वाले कई शिक्षक स्कूल नहीं जाते।

ऐसे शिक्षक जो सालों से स्कूल नहीं आ रहे उनकी सेवा समाप्त की जानी चाहिए। खुद मैंने निरीक्षण के बाद तीन शिक्षकों की सेवा समाप्त करने की संस्तुति की थी। लेकिन अब तक किसी की भी सेवा समाप्ति की कार्रवाई की सूचना नहीं मिली है। – अरुण कुमार शुक्ला, एडी बेसिक

शिक्षकों को कारण बताओ नोटिस भेजा गया है। लगातार तीन नोटिस का जवाब नहीं देने पर सेवा समाप्ति की कार्रवाई होगी। विभाग द्वारा नोटिस भेजे जा रहे हैं। ऐसे शिक्षक जो सालों से अनुपस्थित मिलते हैं, उनका तत्काल वेतन रोका जाता है। – नीलम यादव, बीएसए

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