घटना के बाद मंत्री व अफसरों ने अनुकंपा के आधार पर नौकरी देने का दिया था भरोसा

पुलिस मुख्यालय के काट रही है चक्कर

अमर उजाला ब्यूरो

झांसी। कानपुर के बिकरू कांड में शहीद हुए झांसी के सिपाही सुल्तान सिंह की पत्नी को तीन साल बाद भी अनुकंपा नियुक्ति हासिल नहीं हो पाई है। जबकि, घटना के बाद शहीद के घर पहुंचे मंत्री व अफसरों ने शहीद की विधवा को नौकरी देने का भरोसा दिया था, लेकिन ये अब तक पूरा नहीं हो पाया है। नौकरी की खातिर शहीद की विधवा लगातार पुलिस महकमे के चक्कर काट रही है।

दो जुलाई 2020 की रात कानपुर के बिकरू गांव में गैंगस्टर विकास दुबे और उसके गुर्गों ने अंधाधुंध गोलियां बरसाईं थीं। इस घटना में डीएसपी और एसओ समेत आठ पुलिस कर्मियों को अपनी जान गंवानी पड़ी थी। घटना में मारे गए पुलिस कर्मियों में झांसी के ग्राम भोजला के रहने वाले सिपाही सुल्तान सिंह भी शामिल थे। घटना के बाद शहीद के परिवार को एक करोड़ रुपये की आर्थिक सहायता उपलब्ध कराई गई थी।

वहीं, शहीद के घर पहुंचे प्रदेश सरकार के मंत्री व अफसरों ने उसकी पत्नी उर्मिला को नौकरी देने का भरोसा दिया था। चूंकि, उर्मिला बीएड और टीईटी पास थी, ऐसे में उसने पुलिस महकमे की जगह शिक्षा विभाग में नौकरी करने की इच्छा जताई थी, जिसे मान लिया गया था। लेकिन, बाद में उस पर अमल नहीं किया गया।

सिपाही की विधवा से कहा गया कि चूंकि सुल्तान सिंह पुलिस विभाग में था, ऐसे में उसे पुलिस में ही अनुकंपा नियुक्ति मिल पाएगी। इस पर उर्मिला राजी भी हो गई थी। लेकिन, पुलिस महकमा भी अब तक उसे नौकरी नहीं दे पाया है। जबकि, इसके लिए उर्मिला लगातार पुलिस मुख्यालय के चक्कर काट रही है।

हाईकोर्ट के आदेश पर भी नहीं हुआ अमल

झांसी। उर्मिला की बहन अंजना ने बताया कि पुलिस विभाग की ओर से सामान्य अभ्यर्थियों की तरह लिखित व शारीरिक परीक्षा पास करने के बाद नौकरी देने की शर्त रखी गई थी। जबकि, उर्मिला की उम्र 35 साल से अधिक है। ऐसे में उसके लिए शारीरिक परीक्षा पास कर पाना मुश्किल है, उसकी एक बेटी भी है। यह बात पुलिस विभाग को भी बता दी गई है। साथ ही नौकरी के लिए हाईकोर्ट का भी दरवाजा खटखटाया था। न्यायालय की ओर से आठ जुलाई तक नौकरी देने के निर्देश जारी किए थे, परंतु इस पर अब तक अमल नहीं किया गया है।



Source link

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *