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झांसी के ब्रसिंहपुरा गांव की महिला इस उम्र में खुद भी पढ़ रहीं और गांव के लोगों को भी करती हैं प्रेरित

रविवार को स्कूल में दी थी नव साक्षर परीक्षा

अनीता वर्मा

झांसी। नानी मेरी न्यारी है, सब दुनिया से प्यारी है। मुझको रोज पढ़ाती है। होमवर्क करवाती है, समझ ना आए कोई पाठ तो बिन मारे समझाती है…। बचपन में नानी की ये कहानी तो हम सबने सुनी होगी। लेकिन, आपको ये पता चले कि 81-82 साल की एक नानी खुद पढ़ाई कर रही हैं, वह अपना होमवर्क भी खुद ही करती हैं तो शायद यकीन नहीं होगा। पर, ये बिल्कुल सच है। झांसी के टोड़ीफतेहपुर की पोस्ट पंडवाहा में ब्रसिंहपुरा गांव में रहने वाली ये नानी न सिर्फ इस उम्र में खुद पढ़ाई कर रही हैं, बल्कि वह अपने घर-परिवार और गांव के लोगों को भी पढ़ने-लिखने के लिए प्रेरित करती हैं, वह गांव के बुजुर्गाें को भी समझाती रहती हैं कि पढ़ाई के कौनऊं उमर नईं होत है, भैया जौ पढ़ लैहो तो कौऊ तुमें सिर्री ना बना पैहे। ये नानी इस उम्र में भी अपने खेत की सैर करने जाती हैं, खूब चने भी चबाती हैं। इतना ही नहीं परिवार के बच्चे पढ़ाई कर रहे हैं या नहीं, इस बात का भी पूरा ध्यान रखती हैं। इन्होंने रविवार को नव साक्षर परीक्षा भी दी है।

इन नानी का नाम है दुर्गाबाई। इनका जन्म 81-82 साल पहले पंडवाहा के ब्रसिंहपुरा गांव से तकरीबन 10-12 किलोमीटर दूर कुटौरा गांव में हुआ था। इनकी शादी ब्रसिंहपुरा गांव में नाथूराम विश्वकर्मा के साथ हुई थी। जिनकी 26 साल पहले मृत्यु हो चुकी है। दुर्गाबाई की एक बेटी कौशल्या देवी हैं, जो अपने पति किसान शिवप्रसाद और अपने पांच बेटों, एक बेटी और बहुओं व उनके बच्चों के साथ मां दुर्गाबाई के साथ ही रहती हैं।

दुर्गाबाई बताती हैं कि पहले बिटिया की पढ़ाई नहीं कराई जाती थी। इसलिए वह भी दो-तीन कक्षा ही पढ़ पाई थीं। लेकिन, शादी के बाद जैसे-जैसे जिंदगी आगे बढ़ी, पढ़ना-लिखना भूल गईं। पति की मौत के बाद पढ़ने की कोशिश की लेकिन, कुछ हो नहीं पाया। इधर, तीन-चार साल पहले प्रौढ़ शिक्षा के तहत गांवों में बड़े-बुजुर्गों को पढ़ने का मौका सामने आया तो उन्होंने भी कोशिश शुरू कर दी। वह अपने नातियों के बच्चों की किताबें पढ़ने की कोशिश करने लगीं, बच्चे पढ़ते तो खुद भी उनके साथ बैठने लगीं।

नाती राजेंद्र, कमलेश, राजेश, दिनेश और उमेश की पत्नियों ने नानी की ललक देखी तो वह भी उन्हें किताब में शब्द बताने लगीं। नाती उमेश ने बताया कि कुछ महीने पहले गांव के परिषदीय स्कूल के शिक्षकों ने बताया कि गांव के जो बुजुर्ग पढ़ना चाहते हैं उन्हें नव साक्षर से रूप में पढ़ाकर परीक्षा दिलाई जाएगी।

यह सुनकर नानी और ज्यादा पढ़ाई करने लगीं, उन्होंने सभी से कह दिया कि जब परीक्षा होय, हमै जरूर बता दिइयो। नानी दिन भर में कई बार किताब से देखकर लिखने का अभ्यास करती रहीं और ब्रसिंहपुरा में रविवार को हुई नव साक्षर परीक्षा देने पेन लेकर स्कूल गईं। उन्होंने पूरी परीक्षा भी दी और अपने साथ गांव के कई बुजुर्गों को भी परीक्षा दिलाने साथ ले गई थीं।



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