अमर उजाला ब्यूरो
ललितपुर। ललितपुर में लंपी वायरस का प्रवेश मध्यप्रदेश से हुआ है। सौजना और महरौनी में लंपी वायरस से छह गायों के ग्रस्त मिलने के बाद पशुपालकों में हड़कंप मचा हुआ है। बताया जाता है कि सौजना और महरौनी क्षेत्र टीकमगढ़ से लगे हुए हैं। यहां बड़ी संख्या में गोवंश सड़कों पर भी घूमते हैं। ऐसे में संभावना जताई जा रही है कि इन गायों में लंपी यहीं से आया है। वहीं प्रशासन ने भी एहतियात बरतने के लिए मध्यप्रदेश से लगे हुए इलाके में ड्रॉप बैरियर लगाकर पुलिस फोर्स को तैनात किया है।
जिले में करीब 35 हजार गोवंश गोशालाओं में संरक्षित हैं। जबकि नौ हजार गोवंश सड़कों पर घूम रहे हैं। सड़कों पर घूम रहे गोवंश लंपी वायरस के बड़े वाहक बन रहे हैं। दरअसल, सड़कों पर घूमने वाले गोवंशों को जब प्रदेश की सीमा से भगाया जाता है, तो यह सीमावर्ती मध्यप्रदेश में घुस जाते हैं। जब इन गोवंशों को मध्यप्रदेश से दौड़ाया जाता है, तो ये गाेवंश ललितपुर की सीमा में आ जाते हैं। बुधवार को लंपी के छह केस मिलने के बाद पशुपालकों में हड़कंप मच गया। पशुपालक अपनी गायों को लंपी से बचाने के लिए तमाम जतन कर रहे हैं। वहीं पशु पालन विभाग की टीम ने भी गांवों में पहुंचकर लंपी से ग्रसित गायों की जांच की। वहीं मप्र के जिला टीकमगढ़ से लगे छापछोल, जगारा, केलगुवां, बानपुर वाणाघाट, निवारी, मोगान में ड्रॉप बैरियर गेट लगवाए गए। जहां पुलिस फोर्स को तैनात किया गया है।
डीएम पहुंचे गुढ़ा गांव
जिलाधिकारी अक्षय त्रिपाठी ने ग्राम गुढ़ा में निरीक्षण कर पशुपालन विभाग, पंचायती राज विभाग के राहत कार्य व टीकाकरण कार्य को देखा। बीमार पशुओं को देखने पशुपालकों के घर भी गए। उन्होंने पशुपालकों को लंपी वायरस से गोवंश को बचाने के सुझाव दिए। इस अवसर पर मुख्य विकास अधिकारी केके पांडे, अपर जिलाधिकारी अंकुर श्रीवास्तव, डीपीआरओ नवीन मिश्रा, मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी डाॅ. डीपी सिंह मौजूद रहे।
अधिकारी सतर्कता से करें काम
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ललितपुर। जिले के गोवंशों में लंपी संक्रमण तेजी से फैल रहा है। इसके चलते जिला प्रशासन सतर्क हो गया है। जिलाधिकारी अक्षय त्रिपाठी ने बृहस्पतिवार को पशुपालन विभाग, पंचायती राज विभाग व ग्राम विकास विभाग के अधिकारियों के साथ बैठक की। डीएम ने कहा कि लंपी एक विषाणु जनित रोग है। रोग में पशु में तेज बुखार, आंख व नाक से पानी गिरना, पैरों में सूजन, पूरे शरीर में कठोर एवं चपटी गांठ आदि लक्षण पाए जाते हैं। कभी-कभी संपूर्ण शरीर की चमड़ी पर गांठे हो जाती हैं।
इन गांव में हुआ टीकाकरण
मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी डॉ डीपी सिंह ने बताया कि जिले में पशु चिकित्सा अधिकारियों ,पशुधन प्रसार अधिकारियों, पैरावेट, पशु मैत्री की 18 टीम बनाई गई हैं। जो ग्रामीण इलाकों में इस बीमारी के परीक्षण का कार्य कर रही हैं। बृहस्पतिवार को गांव गुढ़ा, भदौरा, छापछौल, मेंगुवा, नवागढ़, जगारा, अगोढ़ी, बंजरया सहित कई ग्रामों में पशुओं का टीकाकरण किया गया है।
रोग प्रकोप के समय क्या करें
प्रभावित पशु को स्वस्थ पशु से अलग करें। पशुओं को सदैव साफ पानी पिलाएं। पशुओं को मच्छरों, मक्खियों, किलनी, आदि से बचाने हेतु पशुओं के शरीर पर कीटनाशक दवाओं का प्रयोग करें। बीमार पशुओं की देखभाल करने वाले व्यक्ति को भी स्वस्थ पशुओं के बाड़े से दूर रहना चाहिए।
क्या ना करें
बीमार एवं स्वस्थ पशुओं को एक साथ चारा-पानी न कराएं। यदि किसी पशु की मृत्यु होती है, तो शव को खुले में न फेंके एवं वैज्ञानिक विधि से दफनाएं। रोगी पशु के दूध को बछड़े को न पिलाएं।
वर्जन
लंपी संक्रमण से गोवंश को बचाने के लिए पशु चिकित्सा अधिकारियों ,पशुधन प्रसार अधिकारीयों, पैरावेट, पशु मैत्री की 18 टीम बनाई गई हैं। जो गांवों में इस बीमारी के सर्विलांस का कार्य कर रही है। साथ ही टीकाकरण का कार्य किया जा रहा है। छह केस हैं, इनको ठीक किया जा रहा है। – अक्षय त्रिपाठी, जिलाधिकारी