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त्रिवेणी नगर में कालाजार का मरीज मिलने के बाद स्वास्थ्य व नगर मलेरिया विभाग की टीम ने मंगलवार को इलाके में डेरा डाला। यहां के 300 लोगों की जांच की गई। इनकी रिपोर्ट निगेटिव आने पर अफसरों ने राहत की सांस ली।

उधर, मरीज के घर से मिली बालू मक्खी को जांच के लिए भेजा गया है, ताकि पता चल सके कि वह नर है या मादा। टीम ने इलाके में घरों के अंदर-बाहर दवाओं का छिड़काव भी किया।

त्रिवेणी नगर निवासी 17 वर्षीय किशोर को तेज बुखार आने पर 23 अक्तूबर को एरा मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया था। डॉक्टरों को कालाजार होने की आशंका हुई। करीब आठ दिन बाद आई जांच रिपोर्ट में इसकी पुष्टि हुई। इसके बाद डब्ल्यूएचओ व जिला मलेरिया टीम ने मरीज के घर जाकर जांच की, जिसमें एक बालू मक्खी मिली थी।

ऐसे होता है कालाजार

कालाजार मादा बालू मक्खी के काटने से होता है। यह मक्खी सीलन और कच्चे मकानों में पाई जाती है। बालू मक्खी उड़ती नहीं और फुदक-फुदक कर चलती है। यह दिखने में सामान्य मक्खी से छोटी होती है। यह मक्खी सीलन वाली जमीन की दरारों में अधिक मिलती है।



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