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अमर उजाला ब्यूरो
झांसी। केन-बेतवा लिंक परियोजना से बुंदेलखंड के सबसे पुराने पारीछा बांध का कायाकल्प होगा। बांध के भीतर सैकड़ों साल से जमा गाद निकालने के लिए स्लूज बनाए जाएंगे। इससे बांध की स्टोरेज क्षमता बढ़ सकेगी। इसके साथ ही बांध के मैनुअल गेट भी बदलकर ऑटोमेटिक कर दिए जाएंगे।
सिंचाई अफसरों का कहना है कि मानसूनी सीजन के बाद यह काम इसी वर्ष आरंभ करा दिया जाएगा।बुंदेलखंड में छोटे-बड़े 26 बांध हैं। इनमें पारीछा बांध सबसे पुराना है। करीब 150 साल पुराने पारीछा बांध में शुरुआती समय में करीब 105 मिलियन क्यूबिक मीटर एमसीएम पानी स्टोर करने की क्षमता थी, लेकिन लगातार गाद भरने से अब इसकी क्षमता कम होती जा रही है। सिंचाई अफसरों के मुताबिक, अब इसकी क्षमता महज 78.74 एमसीएम पानी स्टोर करने की रह गई है। केन-बेतवा परियोजना के जरिए इस बांध के कायाकल्प करने का प्रस्ताव बनाया गया है। सिंचाई अफसरों के मुताबिक, इसके लिए अंडर स्लूज बनाए जाएंगे। बारिश के समय बेतवा नदी के तेज बहाव के दौरान यह स्लूज खोले जाएंगे। इससे बांध में पुराने समय से जमा गाद भी धीरे-धीरे करके बांध से बाहर निकाली जा सकेगी। इससे बांध की क्षमता बढ़ाने में मदद मिलेगी। केन-बेतवा लिंक परियोजना के एसीईओ देवेश शुक्ला के मुताबिक, पारीछा बांध के कार्य इस मानसून सीजन के खत्म होने के बाद कराने की तैयारी है।