खतौली, मुजफ्फरनगर। (Khatauli News) मकर संक्रांति का पर्व हर साल एक नई उमंग और खुशी लेकर आता है, लेकिन इस बार यह पर्व खास बन गया, जब खतौली के फलावदा रोड स्थित कुष्ठ आश्रम में विशेष दान-पुण्य का आयोजन किया गया। यह आयोजन न केवल मकर संक्रांति के धार्मिक महत्व को मनाने का अवसर बना, बल्कि समाज में एकता, सहानुभूति और सामाजिक जिम्मेदारी को भी मजबूत करने का कार्य किया। इस समारोह की अध्यक्षता थाना कोतवाली खतौली के प्रभारी निरीक्षक बृजेश कुमार शर्मा ने की, और उनके साथ कई प्रमुख समाजसेवी भी उपस्थित रहे।

आश्रम का दौरा और मदद की शुरुआत

मकर संक्रांति के इस खास अवसर पर प्रभारी निरीक्षक बृजेश कुमार शर्मा ने क्षेत्र के प्रमुख समाजसेवकों के साथ मिलकर फलावदा रोड स्थित कुष्ठ आश्रम का दौरा किया। इस दौरान उन्होंने आश्रम में रह रहे लोगों से मिलकर उनकी स्वास्थ्य स्थिति, रोजमर्रा की जरूरतों और उनके जीवन की कठिनाइयों के बारे में जानकारी ली। श्री शर्मा और समाजसेवकों ने आश्रम के निवासियों के लिए वस्त्र, खाद्य सामग्री और अन्य आवश्यक वस्तुओं का वितरण किया।

कुष्ठ आश्रम में रहने वाले लोग जिन्हें समाज में अक्सर उपेक्षित किया जाता है, उनके लिए यह दान-पुण्य का अवसर किसी वरदान से कम नहीं था। इस दौरान कई जरूरतमंदों ने खुशी-खुशी इन वस्तुओं को प्राप्त किया और आभार व्यक्त किया।

मकर संक्रांति का महत्व और धार्मिक दृष्टिकोण

मकर संक्रांति के दिन सूर्य मकर राशि में प्रवेश करते हैं, जिससे पृथ्वी का तापमान बढ़ने लगता है। इस समय का प्रभाव मनुष्य के तन और मन पर भी पड़ता है, और इसे एक नए जीवन की शुरुआत के रूप में देखा जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, मकर संक्रांति के दिन खिचड़ी का दान करना और अन्य धार्मिक कार्यों को करना विशेष पुण्य का कारण बनता है। यही कारण है कि इस दिन देशभर में दान-पुण्य करने की परंपरा रही है, और इस अवसर पर सामाजिक कार्यों का आयोजन किया जाता है।

साथ ही इस दिन को लेकर विभिन्न संस्कृतियों और समुदायों में अलग-अलग परंपराएं हैं, लेकिन सभी का उद्देश्य एक ही होता है – समाज में सामूहिक सद्भाव और एकता को बढ़ावा देना।

समाजसेवकों का योगदान और उनके प्रयास

इस मौके पर समाजसेवकों ने आश्रम में रहने वालों की मदद के लिए अपनी पूरी ताकत झोंक दी। समाजसेवी संगठन और स्थानीय लोग भी इस कार्यक्रम में सक्रिय रूप से शामिल हुए। उन्होंने न केवल धन और सामान का दान किया, बल्कि समय निकालकर उन लोगों के साथ समय भी बिताया और उनके साथ इस विशेष दिन की खुशियां साझा की।

आश्रम के निवासियों ने इन समाजसेवकों का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि इस तरह के आयोजनों से उनका आत्मबल बढ़ता है और समाज में एकजुटता का अहसास होता है। यह आयोजन उनकी भावनाओं को समझने का एक महत्वपूर्ण तरीका था और इससे उनके मन में समाज के प्रति विश्वास और बढ़ा है।

दान का महत्व और समाज में बदलाव

इस दान-पुण्य का असर केवल कुष्ठ आश्रम के निवासियों तक ही सीमित नहीं रहा, बल्कि पूरे क्षेत्र के लोगों में एक सकारात्मक संदेश गया। स्थानीय लोग इस सामाजिक पहल की सराहना करते हुए कहते हैं कि इस तरह के आयोजन समाज में एकता और सद्भावना को बढ़ावा देते हैं। यह केवल एक साधारण दान नहीं था, बल्कि यह समाज में बदलाव लाने का एक बड़ा कदम था।

धार्मिक और सामाजिक दृष्टिकोण से देखा जाए तो इस तरह के आयोजन समाज के कमजोर वर्ग के लिए उम्मीद की किरण बनते हैं। आश्रम में रहने वाले लोग, जिनकी जिंदगी कठिनाइयों और सामाजिक भेदभाव से भरी हुई होती है, उन्हें इस तरह की मदद से आत्म-सम्मान की अनुभूति होती है। यह इस बात का संकेत है कि समाज के हर वर्ग को सम्मान और प्यार मिलना चाहिए।

मकर संक्रांति के पर्व को लेकर क्षेत्रवासियों की प्रतिक्रिया

इस अवसर पर क्षेत्र के अन्य धर्मप्रेमी लोग भी आश्रम पहुंचे और वहां दान-पुण्य किया। स्थानीय लोगों का कहना है कि मकर संक्रांति का पर्व एक धार्मिक अवसर है, लेकिन इस दिन को दान-पुण्य और सेवा कार्यों के साथ मनाना समाज में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है। यह समाज में एकजुटता को बढ़ावा देता है और लोगों को एक-दूसरे के साथ सहयोग और समर्थन की भावना से जोड़ता है।

आश्रम में दिनभर दान देने वालों का तांता लगा रहा, और सभी ने इस पहल की सराहना की। इससे यह साबित होता है कि आज भी हमारे समाज में सेवा और मानवता की भावना जिंदा है। ऐसे आयोजनों से यह संदेश भी जाता है कि समाज के हर वर्ग का उत्थान जरूरी है, चाहे वह समाज के प्रक्षिप्त वर्ग से हो या किसी अन्य कठिन परिस्थिति में रहने वाला व्यक्ति।

आखिरकार, मकर संक्रांति का पर्व बन गया एक सामाजिक आंदोलन

मकर संक्रांति के इस आयोजन ने न केवल आश्रम के निवासियों के जीवन को बेहतर बनाया, बल्कि समाज में एक नई चेतना और संवेदनशीलता का अहसास भी कराया। इससे यह स्पष्ट होता है कि धर्म और समाजसेवा का संयोजन एक ऐसी ताकत बन सकता है, जो समाज में समरसता और विकास की राह प्रशस्त करता है।

समाज में बदलाव लाने के लिए ऐसे आयोजनों का महत्व और बढ़ जाता है। यह न केवल धर्म की भावना को प्रकट करते हैं, बल्कि हमारे सामाजिक कर्तव्यों और जिम्मेदारियों को भी सशक्त बनाते हैं। यह प्रेरणा देता है कि हम सभी को अपने समाज में किसी न किसी रूप में योगदान देना चाहिए, ताकि समाज में भाईचारे और शांति का माहौल बने।



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