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– फोटो : pixabay
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आम चुनाव अर्थव्यवस्था को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से रफ्तार देंगे। इसे अबतक का सबसे महंगा चुनाव माना जा रहा है। सेंटर फॉर मीडिया स्टडीज की रिपोर्ट के अनुसार, 2024 के चुनाव में 2019 की तुलना में दोगुना से अधिक खर्च होगा। 2019 में देश में कुल उम्मीदवारों ने लगभग 60 हजार करोड़ रुपये खर्च किए थे। इस बार यह राशि 1.20 लाख करोड़ से ज्यादा होने का अनुमान है।
देश में 96.8 करोड़ मतदाता हैं। रिपोर्ट के अनुसार 1.20 लाख करोड़ रुपये को पूरे मतदाताओं के हिसाब से देखें तो प्रति मतदाता पर करीब 1,240 रुपये खर्च होंगे। वहीं प्रत्येक संसदीय क्षेत्र पर औसतन 202 करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान है। सबसे ज्यादा सीटों और सबसे ज्यादा आबादी वाला राज्य होने के नाते यूपी में ही कम से कम 25 हजार करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान है। इसका असर अर्थव्यवस्था पर पड़ेगा। सबसे ज्यादा फायदा हाॅस्पिटेलिटी सेक्टर, ट्रैवल, सर्विस प्रोवाइडर, खान-पान इंडस्ट्री को होगा। इन ढाई महीनों में कम से कम डेढ़ लाख ऐसे लोगों को नया रोजगार मिलेगा। अकेले उनकी जेब में ही 7 हजार करोड़ रुपये आएंगे। फ्लैक्स-बिल्ले का रोजगार भी चमक रहा है। इस सेक्टर को कम से कम 15 हजार करोड़ रुपये की कमाई होगी।
क्लाउड किचन के पास ऑर्डर की भरमार
प्रत्याशियों के खर्च का एक बड़ा हिस्सा खाने-पीने पर व्यय होता है। सेंट्रल यूपी से तीन बार लोकसभा चुनाव लड़ चुके एक प्रत्याशी ने बताया कि हार-जीत तो बाद की बात है, लेकिन तीन महीने कार्यकर्ताओं की खूब खातिरदारी करनी पड़ती है। पहले केंद्रीय कार्यालय में हलवाई लगाते थे। पर, संख्या बढ़ने और कई कार्यालय व छोटे-छोटे केंद्र होने की वजह से इस बार सिस्टम को बदलना पड़ा।
- क्लाउड किचन को लंच और डिनर संबंधित केंद्रों तक पहुंचाने की जिम्मेदारी दी गई है। इससे पिछले चुनाव के मुकाबले खर्च 20 फीसदी कम हुआ है और पहुंचाने का झंझट भी नहीं है। उन्होंने बताया कि रोजाना 4000 पैकेट के ऑर्डर दिए हैं।
- सात शहरों में ग्रुप क्लाउड किचन चला रहे अविनाश अग्रहरि बताते हैं कि इस बार ऑर्डर ज्यादा होने की वजह से पांच नए किचन खोले हैं। 35 हजार पैकेट रोज की सप्लाई है। छोटे रेस्तरां और कैटरर्स के पास भी इस सीजन में खासा काम है। यूपी होटल-रेस्तरां-कैटरर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष सुनील बजाज बताते हैं कि चुनाव की वजह से गर्मियों के सीजन में कम से कम इस सेक्टर के पास 2000 करोड़ के अतिरिक्त ऑर्डर होंगे।
इवेंट व इलेक्शन मैनेजमेंट की 5000 करोड़ की कमाई
इस चुनाव में मैनेजमेंट की भूमिका काफी अहम है। इवेंट मैनेजमेंट कंपनियां नुक्कड़ नाटक, डोर-टू-डोर प्रचार, नेताओं व स्टार प्रचारकों की व्यवस्था, तंबू-कनात-कुर्सी से लेकर कूलर-पंखे-एसी तक के जुगाड़ में जुटी हैं। वहीं चुनाव मैनेजमेंट टीमों मे कंटेंट राइटरों, प्लानरों की फौज जुटी है।
पानी की रहेगी भारी मांग
चिलचिलाती गर्मी में चुनाव होने की वजह से पानी की डिमांड खूब रहेगी। डिमांड को ही देखते हुए पिछले दो महीने में यूपी और एनसीआर में 176 वाटर बाॅटलिंग प्लांट पंजीकृत हुए हैं। वाटर प्लांट संचालक नीतेश निगम बताते हैं कि चुनाव में ब्रांडेड पानी की बोतलों की मांग कम होती है, क्योंकि वो महंगी पड़ती हैं। एक दिन में एक-एक प्रत्याशी को कम से कम 5000 छोटी बोतलें तो खर्च करनी ही पड़ेंगी। कानपुर के एक बड़े ब्रांड के बाॅटलिंग प्लांट संचालक बताते हैं कि चुनाव में अकेले यूपी में पानी का बाजार रोजाना करीब दस लाख बोतल का होगा।
ट्रैवल ऑपरेटरों के लिए सहालग से ज्यादा कमाई
चुनाव में कड़ी निगरानी की वजह से ज्यादातर प्रत्याशी बिना झंडे वाली प्रचार गाड़ियों का सहारा लेते हैं। इस बार भी यही माजरा है। गर्मी के कारण कार्यकर्ताओं में चार पहिया वाहनों की डिमांड ज्यादा है। लखनऊ के एक बड़े ट्रैवल ऑपरेटर बताते हैं कि 22 नई कारें एक महीने में केवल चुनाव के लिए खरीदनी पड़ी हैं। ऑर्डर बहुत हैं। मुंहमांगा पैसा मिल रहा है। वह बताते हैं कि तीन महीने में अगले एक साल की किस्त का इंतजाम हो जाएगा।