
पूर्व मंत्री मयंकर सिंह।
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कभी महज 50 हजार रुपये खर्च कर प्रत्याशी चुनाव लड़कर संसद भवन पहुंच जाते थे लेकिन अब इसके लिए करोड़ों खर्च करने पड़ रहे हैं। चुनाव आयोग की ओर से ही इस बार खर्च का दायरा 95 लाख कर दिया गया है। पहले चुनाव के समय शोर भी बहुत कम होता था। सिर्फ एक जीप व साइकिल से ही प्रचार हो जाता था। अब तो लग्जरी वाहनों का काफिला प्रत्याशी के साथ चल रहा है।
वरिष्ठ भाजपा नेता चार बार विधायक व एक बार प्रदेश सरकार में मंत्री रहे मयंकर सिंह बताते हैं कि वर्ष 1967 में लोकसभा चुनाव के दौरान लगातार प्रचार में जुटे थे। तब बहराइच सीट से केके नायर जनसंघ के टिकट पर चुनाव लड़ने जा रहे थे, लेकिन खर्च को लेकर वह चुनाव में पीछे हटने लगे थे। इसके बाद पार्टी कार्यकर्ताओं ने चंदा लगाकर उनको चुनाव लड़ाया।
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पूरे चुनाव में साइकिल से प्रचार किया और सिर्फ एक जीप लगाई गई। बस 50 हजार रुपये खर्च कर चुनाव जीत लिया गया। 1977 के लोकसभा चुनाव में कैसरगंज सीट से चौधरी रुद्रसेन ने भी सिर्फ 50 हजार रुपये खर्च कर ही लोकसभा चुनाव में सफलता प्राप्त कर ली थी। इसके बाद जैसे-जैसे समय बदलता गया उसी तरह चुनाव खर्च में भी इजाफा होता रहा।